Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 127
________________ RXXX****RRRRRRRRXXXXXXX पडिगाहित्तए।वासावासं पजोसवियस्स चनबन्नत्तियस्स निरकुस्स कप्पति तर्ज पाणगाई। अपडिगादित्तए, तंजदा-उसेश्मं, संसेश्म, चाउलोदगं। वासावासं पजोसवियस्स बहनत्ति यस्स निरकुस्स कप्पंति तर्ज पाणगाइं पडिगादित्तए, तंजदा-तिलोदगंवा, तुसोदगंवा, *जवोदगं वा । वासावासं पङोसवियस्स अम्मन्नत्तियस्स निरकुस्स कप्पंति तजे पाणगाई। पडिगादित्तए, तंजदा-आयामे वा, सोवीरे वा, सुझवियडे वा । वासवासं पङोसवियस्स विगिन्नत्तियस्स निरकुस्स कप्पइ एगे सिणवियडे पडिगादित्तए से वि य णं असिजे नोविय णं ससि।वासावासं पजोसवियस्स नत्तपडियाइस्कियस्स निरकुस्स कप्पइ एगे जसिणवियमे पडिगाहित्तए, सेवि य णं असिने नो चेव णं ससिबे, सेवि यणं परिपए नो चेव णं अपरिपूर,से विय णं परिमिए नो चेव णं अपरिमिए,से विधणं बहुसंपन्ने नौ चेव णं अबहुसंपन्ने ॥३॥ वासावासं पङोसविअस्स संखादत्तियस्स निरकुस्स कप्पंति पंच दत्तीएलोअणस्स पडिगादित्तएपंच पाणगस्स,अहवा चत्तारिनोअणस्सपंच पाणगस्स, १ आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्धविअडं वा (क• मु० क० को०) २ विकिट्ठ कि० सु० क० को०)। ******************* ** Main Education International For Private & Personal use only wrow.jainelibrary.org

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