Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 135
________________ सिणेहसुढुमे ? सिणेहसुद्दमे पंचविहे पमत्ते, तंजहा-नस्सा, हिमए, महिया, करए, हरतणुए। जे उनमःणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अनिकणं अन्निकणं जाव पडिलेदियो नव।सेतं सिणेहसुद्धमे॥॥४॥वासावासं पजोसविए निरकू इबिजा गादावश्कुलं । नत्ताए वा पाणाए वा निरकमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पर अणापुबित्ता आयरियं । वा उवज्कायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणदरंगणावअयं जंवा पुर काजं विदरइ, कप्पा से आपुनि आयरियं वा जाव जंवा पुरका विदरइ-श्वामिणं नंते! तुम्नेहिं अनगुमाए * समाणे गाहावश्कुल नत्ताए वा पाणाए वा निकमित्तए वा पविसित्तए वा, ते य से विय-* * रिजा, एवं से कप्पश्गादावश्कुल नत्ताए वा पाणाए वा निरकमित्तए वा पविसित्तए, ते य से , नो वियरिजा एवं से नो कप्पश्नत्ताए वा पाणाए वा निकमित्तए वा पविसित्ताए वा । से * किमाहु नंते? आयरिया पञ्चवायं जाणंति ॥४६॥ एवं विदारनूमि वा वियारनूमि वा अन्नं वा जंकिंचि पउँअणं, एवं गामाणुगाम दूजित्तए ॥ ४ ॥ वासावासं पजोस Jain Education Intematona For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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