Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 124
________________ कल्प० | *किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव समंता सक्कोसं जोयणं । बारसो. ॥६॥ गंतुं पडिनियत्तए ॥ १२॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पश् सब समंता - *सक्कोसं जोयणं गंतुं पडिनियत्तए ॥ १३ ॥ वासावासं पङोसवियाणं अगश्याणं एवं वृत्तपुवं नवश्-दावे नंते ! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए॥१४॥ वासावासं पङोसवियाणं अगश्याणं एवं वृत्तपुवं नव-पडिगादेनंते! एवं से कप्पर पडिगादित्तए, नो से कप्पश्दावित्तए ॥१५॥ वासावासं पजोसविआणं अत्थेगश्याणं एवं वृत्तपुवं नवश्दावे नंते! पडिगादे नंते! एवं से कप्पश् दावित्तएविपडिगादित्तएवि॥१६॥ वासावासं पजोस वियाणं नो कप्पशनिग्गंथाण वा निग्गंथीण वा दहाणं तुहाणं आरोग्गाणं बलियसरीराणं श्मा नव रसविग अनिकणं अनिकणं आदारित्तए, तंजदा-खीरं । ॥६ ॥ (१), दहिं (२), नवणीयं(३), सप्पि (४), तिल्लं (५), गुडं (६), महुँ (७), मऊं () (ए) १ अरुग्गाणं इत्यपि पाठः Jain Edu For Private & Personal use only an.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142