Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 122
________________ कल्प० ॥ ५ ॥ ****** महावीरे वासाणं सवीसइराएं मासे विश्कते वासावासं पोसवेइ ? जर्ज णं पाए बारसो. गाणं गाराई कडियाई नक्कंबियाई बन्नाई लित्ताई गुत्ताई घठाई मठाई संपधूमियाई खाउंदगाई खायनि दमलाई अप्पणी हाए कडाई परिजुत्ताइं परिणामियाई जवंति, से ते एवं बुच्चइ 'समणे जगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विक्कते वासावासं पोसवेइ' ॥ २ ॥ जहा णं समणे जगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे | विश्कते वासावासं पोसवेइ, तदा गं गणदरावि वासाणं सवीसइराए मासे विक्कते | वासावासं पोसविंति ॥ ३ ॥ जहा गं गणदरा वासाणं सवीसइराए जाव पोसविंति तदा णं गणदरसी सावि वासाणं जाव पोसविंति ॥४॥ जहा गं गणदरसीसा वासाणं जाव पोसविंति तदा णं येरा वि वासावासं जाव पद्मांसविंति ॥५॥जदा णं येरा वासाणं जाव पकोसविंति तहा णं जे इमे प्रत्ताए समणा निग्गंथा विदति, ऐएवि प्र णं वासाणं जाव १ विणं (क० कौ० ) Jain Education International For Private & Personal Use Only * * * * ॥ एए ॥ ||Sanelibrary.org

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