Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 123
________________ पजोसविंति॥६॥जदा णं जे श्मे अजत्ताए समणा निग्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विश्कंते वासावासं पङोसविंति, तहा णं अम्हंपि आयरिया नवज्छाया वासाणं जाव । पजोसविंति॥ाजदाणं अम्हंपिआयरिया उवज्छाया वासाणं जाव पङोसविंति, तहाणं अम्देवि वासाणं सवीसइराए मासे विश्कते वासावासं पङोसवेमो, अंतरावि य से कप्प, *नो से कप्पश्तं रयणिं नवाश्णा वित्तए॥॥ वासावासं पड़ोसवियाणं कप्पइ निग्गंयाण वा निग्गंथीणं वा सव्व समंता सक्कोसं जोयणं उग्गदं गिएिदत्ता णं चिहिलं अदालंदमवि उग्गहें ॥ ए॥ वासावासं पजोसवियाणं कप्पर निग्गंथाण वा निग्गंथीणं * वा सब समंता सक्कोसं जोयणं निकायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ १० ॥ जब नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पश् सब समंता सक्कोसं जोयणं निकायरियाए * गंतुं पडिनियत्तए ॥ ११॥ एरावई कुणालाए, जब चक्किया सिया, एगं पायं जले - २ पज्जोसवेंति (क० कौ०) Main Education international For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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