Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 104
________________ करूप० ॥ ५० ॥ ************************* सजुगार्ड जुगंतगडनूमी, अंतोमुदुत्तपरियार अंतमकासी ॥ २१६ ॥ तेां कालेां बारसो. तेणं समरणं उसने अरदा कोस लिए वीसं पुद्दी सय सदस्साई कुमारवासमच्छे वसित्ता णं, तेवहिं पुवसय सदस्साइं रजवासमज्जे वसित्ता णं, तेसीइं पुवसयसदस्साई अगावासमज्छे वसित्ता णं, एवं वाससदस्सं बनमन्त्रपरियायं पाउ णित्ता एवं पुवसयसदस्सं वाससदस्सूां केव लिपरिप्रायं पाणित्ता पडिप्रेसं पुवसयसदस्सं साममपरियागं पान - | णित्ता चउरासीइं पुवसयसदस्साई सवनयं पालइत्ता खीणे वेय गिजाउयनामगुत्ते इमी से उसप्पिणीए सुसम समाए समाए बहुविश्कताए तिदिं वासेदिं नवमेदि य मासेदिं सेसेदिं जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे परके - मादबहुले, तस्स एणं मादबहुलस्स ( ग्रं० ए००) तेरस परके णं उप्पि हावयसेल सिदरंसि दसदिं णगारसदस्सेदिं १ संपुरणं. Jain Education International For Private & Personal Use Only ॥ ५० ॥ www.jainelibrary.org

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