Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
View full book text
________________
कल्प०
॥५६॥
*******
| गणस्स एया, दवंति चत्तारि सादा ॥ १ ॥ से तं सादा ॥ से किं तं कुलाई ? कुलाई | एवमादिति, तंजदा -- पढमिच बंजलि (१) विश्यं नामेण वचलिऊं तु । तइयं पुण वाणि (३) चचयं पादवादयं (४) ॥ १ ॥ येराणं सुप्रियसुप्पडिबु-हाणं कोडियकाकंदयाणं वग्घावच्चसगुत्ताणं इमे पंच थेरा अंतेवासी अदावच्चा अनिमाया हुच्छा, तंजदा - येरे प्रद दिने (१) येरे पियगंथे (२) थेरे विजाहरगोवाले कासवगत्ते (३) थेरे ईसिदिन्ने (४) येरे परिददत्ते (५) थेरेदितो एां पियगंथेदितो एच एणं मज्जिमा सादा निग्गया, थेरेहिंतो णं विकादरगोवालेदितो कासवगत्तेर्दितो एच एं विज्ञादरी सादा निग्गया | येरस्स एणं इंद दिन्नस्स कासवगुत्तस्स 'अदिन्ने' थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते । थेरस्स दिन्नस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी प्रदावच्चा अनिमाया हुच्चा, तंजदा - येरे ' असं तिसे लिए' माढरसगुत्ते (१) थेरे 'प्रसी -
१ इसिदत्ते (क०सु०, क० कि० )
Jain Education International
For Private & Personal Use Only:
बारसो.
॥ ५६ ॥
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142