Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
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कल्प०
॥४७॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं उसने णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं चनवे मासे . | बारसो. सत्तमे परके-आसाढबहुले, तस्स णं आसाढबहुलस्स चनचीपरके णं सबसिधा महाविमाणाऊ तित्तीसं सागरोवमहिमा अणंतर चयं, चश्त्ता इदेव जंबुद्दीवे दीवे । नारदे वासे इकागनूमीए नानिस्स कुलगरस्स मरुदेवीए नारिआए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि आहारवऋतिए जाव गप्नत्ताए वक्ते ॥२०६॥ उसने णं अरहा कोस लिए तिन्नाणोवगए आवि हुबा, तंजदा चश्स्सामि त्ति जाण-जाव-सुमिणे पास तंजहा-'गयवसहगाहा । सवं तहेव-नवरं पढमं उसनं मुद्देणं अश्तं पासइ-सेसाउं| गयं । नानिकुलगरस्स साहेश, सुविणपाढगा नलि, नाजिकुलगरो सयमेव वागरे ॥ २०॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसने णं अरदा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे | ____ १ मरुदेवाए; २ साहेइ;
॥४
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