Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
View full book text
________________
स्सामि त्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमि त्ति जाणइ, तेणं चेव अनिलावणं सुविणदसणविदाणेणं सवं-जाव-निअगं गिदं अणुपविधा, जाव सुदंसुदेणं तं गनं परिवद ॥ १५१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरदा पुरिसादाणीए जे से हेमंताणं उच्चे मासे तच्चे परके-पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स दसमीपके णं नवएवं मासाणं बहुपडिपुरमाणं अच्माणं राइंदिआणं विश्कताणं पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि । विसादाहिं नस्कत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया ॥ १५॥ जं रयणिं च णं पासे अरदा पुरिसादाणीए जाए, सा णं रेयणी बहूदिं देवेदिं देवीहि य । जाव नप्पिजलगनूया कहकहगल्या आवि हवा ॥१५३॥ सेसं तदेव, नवरं जम्मणं । पासानिलावेणं जाणिवं, जाव ते दोन णं कुमारे 'पासे' नामेणं ॥ १५४॥ पासे अरहा पुरिसादाणीए दरके दकपभन्ने पडिरूवे अल्लीणे नदए विणीए, तीसं वासाई
१ तं रयणिं च णं (क० कि०, क० सु०)
in Education International
ForPrivate LPersonal use Only
wnaw.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142