Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 11
________________ *********** *** माहणेणं सनिरालाइंमाणुस्सगाई जोगनोगाई जुंजमाणी विहर॥१२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविंदे देवराया वळपाणी पुरंदरे सयक्कळ सहस्सके मघवं पागसासणे । दाहिणड्डलोगादिवई बत्तीसविमाणसयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवबधरे आलश्अमालमउडे नवहेम-चारु-चित्त-चंचल-कुंमलविलिहिङमाणगल्ले महिड्डिए । मदइए महायसे महाणुनावे महासुरके नासुरबोंदी पलंबवणमालधरे, सोहम्मे कप्पे । सोहम्मवम्सिए विमाणे सुहम्माए सनाए सक्कंसि सीहासणंसि, से णं तब बत्तीसाए । विमाणावाससयसाहस्सीणं, चनरासीए सामाणिप्रसादस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चनएहं लोगपालाणं, अमादं अग्गमदिसीणं सपरिवाराणं, तिएदं परिसाणं, सत्तएवं अणीआणं, सत्तएदं अणीआदिवईणं, चनएहं 'चनरासीए आयरकदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणिणं देवाणं देवीण य आहेवचं + बडंसए १ सीणं. ********* Main Education Interations For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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