Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
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कल्प
॥४॥
F पोरेवच्चं सामित्तं जट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयादय- बारसो.
नट्ट-गीय-वाश्अ-तंती-तलताल-तुडिय-घणमुरुंग-पमुपडहवाश्यरवेणं दिवाइंनोगनोगाई लुंजमाणे विदर॥१३॥इमं च णं केवलकप्पं जबुद्दीवं दीवं विनलेणं दिणा आनोएमाणे आनोएमाणे विदरइ, तब णं समणं जगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे नारदे वासे दादिणडलरदे मादणकुंमग्गामे नयरे उसनदत्तस्स मादणस्स कोमालसगुत्तस्स नारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुचिंसि गप्नात्तए वक्तं पासइ, पासित्ता हस्तुचित्तमाणंदिए णंदिए परमाणंदिए 'पीअमणे परमसोमणस्सिए दरिसवसविसप्पमाणहियए । धाराहयनीवसुरनि कुसुमचंचुमालश्यकससियरोमकूवे विकसियवरकमलनयणवयणे । पयलिय-वरकडग-तुडिय-केकर-मनड-कुंडल-दार-विरायंतवचे पालंबपलंबमाणघोलंतनूसणधरे, ससंनमं तुरिअं चवलं,सुरिंदे सीदासणा अनुठे, अनुत्तिा पायपीढाओ
१ पीइमणा. २ सुरहि.
॥४॥
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