________________
વિભાગ-૫ रू. लीटर लागत का गाय का दूध (अमृत) तेल ७०० से १७०० रू. किलो है । अब गाँवों में १२ रू. में (६०% घाटा) और आप ही बताइये कि क्या क्वालिटी के हिसाब २.२५ रू. लीटर की लागत का पेप्सी (जहर) से घी १७०० रू किलो नहीं होना चाहिए? ३३ रू. लीटर (१४००% से अधिक मुनाफे)
(क)
.
यदि लागत देखें तो औसत २८ किलो में बिक रहा है अर्थात् “अमृत से जहर अधिक महंगा बिक रहा है।
- दूध से एक किलो घी निकलता है । अब
बताइये क्या गाय का घी वर्तमान दर पर देशी गाय का घी जैतून (औलिव) और बादाम से भी अधिक गुणकारी है । जैतन २८x१२=३३६ रू. और वास्तव में का तैल लगभग ४५० रू. और बादाम का २८४३०८४० रू. किलो नहीं है ? | बाजार में बिकनेवाले सस्ते घी की असलियत | देशी गाय का घी बाजारू घी पीतल के समान है।
तो यह २४ कैरेट का सोना है। विदेशी गाय का घी रोगकारक है । तो यह रोगनाशक है। डेयरी का घी, घी नहीं बटर ओइल है। यह आयुर्वेदिक घी है। वनस्पति घी, घी नहीं निकिलयुक्त विषेला तेल है ।| देशी गाय की घी अमृत है ।
हानिकारक कौलेस्ट्रोल, हृदयरोग, मोटापा नहीं खा सकता ? घी के गुणों के प्रचार के अच्छा कौलेस्ट्रोल बढ़ाता है |xxxx साथ ही घी का भाव तो बढ़ेगा, लेकिन यदि
बढ़ानेवाले तथा बढे - बीमारों के लिए आप चाहते हैं कि घी ५ वर्षो बाद २००० वर्जित है।
रू किलो न बिके तो गौ रक्षण-संवर्धन के गौशालाएँ सस्ता घी कैसे देती है ? काय
ही कार्य में हमारा साथ दें । गौशालाओं को दान मिलता है, उस धर्मादे हमारे पूर्वजों की नीतियों के कारण तो के कारण उनका द्ध-घी सस्ता होता है। दूध न बचन पर भी गौ पालन में लाभ था, क्या घी की आड़ में आप गौशाला का चंदा
- किंतु अंग्रेज / काले अंग्रेज शासकों की नीतियों खाना पसंद करते है ?
के कारण दूध की लागत ३० रू. तक पहुँच
गई है । आपके पास तीन रास्ते है : १) पूरी गरीब आदमी इतना महंगा घी कैसे खाये? जब कोई घी से १० गुना महंगी उत्पादों को खरीदें ? सस्ते के लालच का दवाईयाँ-टॉनिक ले सकता है, डोक्टरों को चौथा रास्ता तो गौपालकों से गौमाता को फीस दे सकता है, मेडिकल जाँच करवा छुड़वाकर गौहत्या और घटिया घी को ही सकता है । तो इनसे बचने के लिए घी क्यों बढावा देगा।
१७०