________________
कितने वर्षों तक जीयेंगे ? एकसो वर्ष ? मेरी उम्र ७६ वर्ष है । यदि मेरी आयु एक सौ वर्ष की हो तो भी २४ वर्ष ही शेष रहे । परन्तु एकसो वर्षो तक कितने व्यक्ति जीते हैं । नब्बे वर्ष की आयु में तो शरीर शिथिलतम हो जाता है । चौदह वर्ष तो हद हो गई ।
दो बार तो जाते-जाते बच गया हूं । एक बार आधोई में (वि.सं. २०१६) में और दूसरी बार मद्रास (वि.सं. २०५०) में । जीवन का क्या भरोसा है ? जीवन तो बुलबुला है । वह किसी भी समय फूट सकता है ।
* अणिकापुत्राचार्य जैसे पुन्यशाली चरमशरीरी को कैसी दशा में केवलज्ञान प्राप्त हुआ ? त्रिशूल पर विधती दशा में । ऐसे पुन्यशाली की ऐसी दशा ? कर्म को किसी की शर्म नहीं है । जब कर्म का ऐसा उदय आयेगा तब क्या हम सहन कर सकेंगे ?
केवलज्ञानी को भी कर्म नहीं छोड़ते । केवली भगवान महावीर स्वामी पर भी तेजोलेश्या का उपसर्ग हो सकता हो तो हम किस खेत की मूली हैं ? हमारी क्या विसात ?
इसीलिए कर्म-बंधन के समय सावधान रहना है ।
"बंध समय चित्त चेतीये रे, उदये शो सन्ताप ? "
कर्मोदय के समय हम पराधीन हैं, तीर्थंकर भी पराधीन हैं । उस समय चाहे जितनी चीख-पुकार करें, कोई लाभ नहीं होगा, परन्तु कर्म - बन्धन में हम स्वतंत्र है । कर्म कैसे बांधने यह हमारे हाथ में है । कर्म कैसे भोगना यह आपके हाथ में नहीं है । यह मानव-जीवन कर्मों का क्षय करने के लिए है, बढ़ाने के लिए नहीं ।
* अनन्त मानव-भव हमारे बेकार गये, क्योंकि मानवभव मिलने पर भी बोधि नहीं मिली । इसीलिए १२ भावनाओं में 'बोधि दुर्लभ' नामक एक भावना सम्मिलित की गई है । साधु-जीवन से पूर्व बोधि की बात इस कारण डाली कि बोधि-युक्त साधु-जीवन ही सफल हो सकता है । बोधि-रहित साधुत्व को क्या करें ? वह तो अभव्य को भी प्राप्त हो सकता है ।
OOOOOOOळ १९७
कहे कलापूर्णसूरि २ Wwwwww
-