Book Title: Kahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Vanki Jain Tirth

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Page 551
________________ मार्ग में जाते समय "चक्किदुगं हरिपणगं" श्लोक सुनकर वे उसका अर्थ समझने के लिए साध्वीजी के पास गये । साध्वीजी ने उन्हें साधु महाराज के पास भेजा । इन्हें सच्चे अर्थी कहा जाता है । अर्थी अर्थात् जिज्ञासु । जिज्ञासा जितनी बढ़ती है, उतना ज्ञान बढ़ता है । जिज्ञासा अर्थात् जानने की इच्छा । सुश्रुषा अर्थात् सुनने की इच्छा । एक श्लोक का अर्थ समझने के लिए कट्टर विरोधी जैन धर्म के मुनि के पास पहुंच जाना, यह कितनी अगाध जिज्ञासा होगी ? ऐसा बताते है । माला का प्रभाव हरी माला से रोग नष्ट होता है । लाल माला से लक्ष्मी प्राप्त होती है, शत्रु नष्ट होते हैं ।। पीली माला से यश प्राप्त होता है, परिवार बढ़ता है । - पुष्पावती चरित्र [कहे कलापूर्णसूरि - २0oooooooooooooooo000 ५३१)

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