Book Title: Kaalchakra Jain Darshan ke Pariprekshya me
Author(s): Sanjiv Godha
Publisher: A B D Jain Vidvat Parishad Trust

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Page 5
________________ 12 14 15 17 23 25 29 32 34 37 43 विषय सूची काल की परिभाषा / स्वरूप काल के भेद (1) व्यवहार और निश्चय काल (2) व्यवहार काल के विविध मापदण्ड (3) संख्यात, असंख्यात और अनन्त काल (4) भूत, वर्तमान और भविष्य काल (5) उत्सर्पिणी - अवसर्पिणी काल - अवसर्पिणी के प्रथम तीन काल (भोगभूमि) - कल्पवृक्षों का स्वरूप - अवसर्पिणी का पहला काल (सुषमा-सुषमा) - अवसर्पिणी का दूसरा काल (सुषमा) - अवसर्पिणी का तीसरा काल (सुषमा-दुषमा) - कुलकर व्यवस्था - अवसर्पिणी के अन्तिम तीन काल (कर्मभूमि) - अवसर्पिणी का चतुर्थ काल (दुषमा-सुषमा) - तरेसठ शलाका पुरुष - अवसर्पिणी का पंचम काल (दुषमा) - कल्की एवं उपकल्की - अवसर्पिणी का छठा काल (अतिदुषमा) - कल्पान्त-काल (प्रलय) - हुण्डावसर्पिणी काल - उत्सर्पिणी के छह काल - उत्सर्पिणी काल में कुलकर - काल अपरिवर्तन वाले क्षेत्र (6) कुछ सहज जिज्ञासायें... - वर्तमान में कौनसा काल - उत्सर्पिणी या अवसर्पिणी ? - विश्वास नहीं होता, काल्पनिक-सा लगता है - छठे के बाद छठा या पहला काल ? - क्या सब कुछ बदल जाता है ? - कौनसा काल श्रेष्ठ ? 43 44 49 50 53 54 56 58 59 60 62 263 65 66 67 68

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