Book Title: Jiye to Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 22
________________ लिए हमें सूर्योदय से पहले दो किलोमीटर तक लंबी सांस लेते हुए टहल लेना चाहिए अथवा सुबह दस-पंद्रह मिनट तक कुछ योगासन कर लेने चाहिए। यदि समय और स्थान की सुविधा न हो, तो एक ही जगह पर दो-तीन मिनट की जॉगिंग स्थिर-दौड़ कर लेनी हितकर है। इससे हमारे शरीर के जीवित कोष्ठ सक्रिय होते हैं, शरीर की जो कोशिकाएं सुप्त या शिथिल पड़ी हैं, वे भी सक्रिय होकर हमारे स्वास्थ्य में सहभागी बन जाती हैं। . हम अपने किसी भी कार्य को करने से पहले उसके बारे में थोड़ा-सा मनन कर लें। सोच-समझकर किया गया कार्य हमेशा वांछित परिणाम देता है। बिना सोचे-समझे किए गए कार्य पर अंततः पछताना पड़ता है। हर कार्य को उत्साह से करना चाहिए, पर इसका मतलब यह नहीं कि उसे जल्दबाजी में निपटाने की कोशिश की जाए। बुद्धिमान पुरुष काम करने से पहले सोचता है; समझदार व्यक्ति काम करते समय सोचता है, जबकि मूर्ख काम करने के बाद। भला जब प्रकृति ने हमें श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान की है, तो क्यों न हम बुद्धिपूर्वक ही हर कार्य को संपादित करें। न उलझें लालसाओं में हम व्यर्थ की लालसाओं में भी न उलझें। आवश्यकताओं के अनुसार सभी कुछ संजोया जाता है, लेकिन आवश्यकता से अधिक किसी भी चीज की व्यवस्था करना सामाजिक अपराध तो है ही, वहीं उसे संभालने-सजाने और उसकी सुरक्षा के लिए अनावश्यक माथापच्ची भी करनी पड़ती है। हमारे पास अगर ज़रूरत से ज्यादा है, तो उसे जरूरतमंद लोगों को प्रदान कर दें। आवश्यक सब कुछ हो, अतिरिक्त कुछ नहीं-अपने आप में यह अपरिग्रह-धर्म का पालन है। भौतिक सुखों का कोई अंत नहीं है। ये सब तो वे चापलूस शत्रु हैं, जो दिन-रात हमारा खून चूसते रहते हैं। हम लालसाओं में न उलझें, जीवन के आवश्यक कार्यों और कर्तव्यों का पालन करें। सभी कार्य और कर्तव्य जीवन-पथ के देवदूत होते हैं। कर्त्तव्य को कर्तव्य की भावना से निष्ठापूर्वक संपादित करना देवों की ही अर्चना है। 21 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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