Book Title: Jiye to Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 104
________________ का एक बीज बोओ, तो हजार कांटे पाओ। मनुष्य की हर सोच उसके जीवन के खेत में बोया गया एक बीज ही है। यदि हम अच्छी सोच के बीज बोएंगे, तो जीवन में अच्छे फल पाएंगे। बुरी सोच का बीजारोपण तो हाथ में बबूल ही थमाएगा। कहावत है-खाली दिमाग शैतान का घर होता है। मैं तो कहूंगा कि मनुष्य का मस्तिष्क तो एक ऐसा बगीचा है, जिसमें गुलाब, चमेली और चम्पा के बीजों को बोकर व्यक्ति अपने मस्तिष्क की बगिया को सुरम्य और सुवासित कर सकता है। ध्यान रखें, अगर हमने अपने जीवन में अच्छे बीज न बोए, तो उसमें कंटीली झाड़ियां और घास-फूस उगने से कोई नहीं रोक सकता। फालतू का घास-फूस तो ऐसे ही उगता रहेगा। बगीचा फल-फूल से हरा-भरा हो जाए, तब भी कुछ-न-कुछ अवांछित घास-फूस उग ही जाती है। जीवन को सुंदर और मधुरिम बनाने के लिए हमें जहां स्वयं में अच्छी सोच के बीज बोने होंगे, वहीं अपने आप उग आने वाली बुरी सोच की घास-फूस को काटते भी रहना होगा-एक ओर उगाई हो, दूसरी ओर कटाई; अच्छी फसलों की उगाई हो, घास-फूस की कटाई। हमारे जीवन में आज जो है, वह अतीत में सोचे गए विचारों का ही परिणाम है। हमारा भविष्य हमारे आज के सोचे गए विचारों का परिणाम होगा। अपने भविष्य को स्वर्णिम बनाने के लिए हमें उन बीजों पर ध्यान देना होगा, जिन्हें हम आज बो रहे हैं। प्रेम के बीज बोओगे, तो प्रेम के ही फल लौटकर आएंगे; क्रोध और गाली-गलौच के बीज बोकर तो तुम अपने लिए विषैले व व्यंग्य-भरे वातावरण का ही निर्माण कर रहे हो। मनुष्य की जैसी सोच होती है, वैसे ही उसके विचार होते हैं; जैसे विचार होते हैं, वैसी ही अभिव्यक्ति होती है; जैसी अभिव्यक्ति होती है, वैसी ही गतिविधियां होती हैं, जैसी गतिविधियां होती हैं, वैसा ही चरित्र बनता है; जैसा चरित्र होता है, वैसी ही आदतें होती हैं। अपने चरित्र और आदतों को सुधारने के लिए तुम अपनी सोच और सोचने की शैली को सुधार लो, तो तुमने जड़ों को अमृत से सींचकर फलों को अमृत बनाने का मार्ग अपने आप ही तय कर लिया। 103 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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