Book Title: Jiye to Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 112
________________ सकारात्मक हो जीवन-दृष्टि हमारी सोच और शैली में ही छिपा है, जीवन की हर सफलता का राज। तड़ी प्यारी घटना है : बाल-मेले में एक वृद्ध गुब्बारे बेच रहा था। गुब्बारे पहीलियम गैस से भरे हए होते। स्वाभाविक था, आकाश में ऊंचे उठते हुए गुब्बारों को देखकर बच्चे उसकी ओर आकर्षित हों। वह बच्चों को गुब्बारे बेचता भी और बच्चों को अपनी दुकान की ओर आकर्षित करने के लिए जब-तब दो-पांच गुब्बारे आकाश की ओर भी उड़ा देता। ये उड़ते हुए गुब्बारे ही उसका विज्ञापन होते। एक बालक आकाश में ऊंचे उठते हुए गुब्बारों को देखकर चमत्कृत हो उठा। उसने आश्चर्य भरे स्वर में पूछा-दादा, आपके गुब्बारों में क्या काले रंग का गुब्बारा भी उड़ सकता है? वृद्ध ने बालक का रहस्य उद्घाटित करते हुए कहा-बेटे, गुब्बारा अपने रंग के कारण नहीं उड़ता। गुब्बारे के भीतर जो विश्वास और शक्ति भरी हुई है, उसी की बदौलत वह ऊपर उठता है। वृद्ध-पुरुष का यह अनुभव क्या हमारे लिए प्रेरक नहीं है? मनुष्य के विकास में भी न तो उसका गोरा रंग सहायक होता है और न ही उसका काला रंग बाधक। मनुष्य का विकास उसके स्वयं में निहित गुणवत्ता के कारण ही संभावित होता है। जाति, कुल, देश और धर्म-ये सब व्यक्ति की कुछ व्यावहारिक व्यवस्थाओं के चरण हैं। व्यक्ति का विकास तो उसकी 111 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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