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उसके महल सोने के हो गए। वह खुशी के मारे पागलों-सी हरकत करने लगा। उसने पहाड़ों को छुआ, तो वे भी सोने के हो गए। चारों तरफ सोना ही सोना हो गया। वह सोना बनाते-बनाते थक गया। उसे प्यास लगी। पानी पीने के लिए उसने जैसे ही हाथ बढ़ाया, तो पानी भी सोने का हो गया; और ही उसने भोजन को छुआ, तो वह भी सोने का हो गया। मिडास घबरा उठा। अगर उसके हाथ के छूने से रोटी भी सोने की हो जाएगी, तो वह क्या खाएगा और क्या पीएगा! वह रो पड़ा। तभी उस आगंतुक ने आकर मिडास से पूछा-कहो, कैसा रहा? मिडास ने कहा-अपनी मूर्खता का बोध। क्या हमें अपनी मूर्खता का बोध होगा? सोना जीवन के लिए आवश्यक है, पर रोटी का काम तो रोटी से ही होगा। अपने सोच-विचार के किसी भी पहलू के परिणाम पर भी थोड़ा-सा ध्यान दे दें, तो मिडास की तरह पछताना नहीं पड़ेगा। सकारात्मक सोच से जीवन की शुरुआत हो और मंगल क्रियान्विति पर सोच की पूर्णाहुति। सदा स्मरण रखो, फल वही होंगे, जैसे उससे जुड़े हुए बीज होंगे। प्रेम के बदले में प्रेम लौटकर आएगा और नफरत के बदले में नफरत। तुम्हारी ओर से कही गई यह बात-आई हेट यू, अनुगूंज बनकर तुम पर ही लौटकर आएगी। तुम्हारी आवाज तुमसे ही कहेगी-आई हेट यू। तुम ज़रा मुस्कुराकर प्यार से कहो-आई लव यू। तुम्हारी खुशी का ठिकाना न रहेगा, क्योंकि तब सारा अस्तित्व तुमसे यही बात बार-बार कहेगा-हां, मैं तुमसे प्यार करता हूं, आई लव यू। शायद दुनिया से आप यही कहलाना चाहते हैं; आई लव यू; आई लव यू। अगर ऐसा है तो हमारी ओर से भी ऐसा ही प्रयास हो, प्रेम का प्रयास हो।
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