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व्यक्ति की सोच और शैली में ही छिपा है जीवन की हर सफलता का राज। अपने किन्हीं मूलभूत सिद्धांतों, प्रतिबद्धताओं और बुद्धिमत्तापूर्ण संघर्षों के कारण ही लोग सफल होते चले जाते हैं। आखिर सफल होने वाले लोग कोई अलग काम नहीं किया करते। बस, वे हर काम अपने अलग तरीके से करते हैं। व्यक्ति की वास्तविक सफलता इसी में है कि वह अपने अतीत की हर सफलता के रिकॉर्ड में सुधार करता जाए। अपनी खामियों को सुधारना सफलता को भोर का बाना पहनाना है; अपनी गलतियों को लगातार दोहराए जाना रात के अंधियारे में खंभे से टकराना है। भाग्य उन्हीं की मदद करता है, जो श्रम और संघर्ष के प्रति निष्ठाशील होते हैं। यदि कोई दरिद्र है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह अपने कार्य में सफल नहीं हुआ, वरन् वह अपने कार्य के प्रति सन्नद्ध ही नहीं हुआ। दौड़ जीतने वाला धावक अन्य धावकों से बहुत ज्यादा ताकतवर नहीं होता। वह जीतता भी बहुत मामूली फर्क से है, पर इसके बावजूद उसे जो ईनाम मिलता है, वह उस मामूली फर्क से सौ गुना ज्यादा होता है। उसकी क्षमता और योग्यता-दोनों ही अन्य धावकों के बराबर होती है, पर इसके बावजूद वही क्यों जीतता है? तो इसका जवाब होगा, उसका आत्मविश्वास, जीतने की दृढ़ इच्छा-शक्ति
और निरंतर सकारात्मक अभ्यास ही व्यक्ति की विजय के चमत्कारी सूत्र साबित होते हैं। धरती पर ऐसा कौन प्राणी है, जिसमें क्षमता और प्रतिभा न हो। व्यक्ति यदि अपने जीवन में सफलता के कुछ छोटे-छोटे सूत्र अपना ले, तो उसके खेत और व्यापार का, जमीन और जायदाद का, खोज और आविष्कार का, उसके घर और परिवार का स्वरूप ही बदल जाएगा। वह सबका सरताज हो जाएगा।
मुखर करें इच्छा-शक्ति
जीवन में सफलता के लिए जिस पहले मंत्र की आवश्यकता होती है, वह है व्यक्ति की दृढ़ इच्छा-शक्ति। माना कि जीवन में पलने वाली अनगिनत इच्छाएं व्यक्ति की चेतना को छिन्न-भिन्न कर डालती हैं, किंतु जब व्यक्ति
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