Book Title: Jiye to Aise Jiye Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Pustak MahalPage 84
________________ है। यदि जीवन में सौंदर्य और माधुर्य का राज समझ में आ जाए, तो अपने आप ही चित्त की आकुलता-व्याकुलता का विलोप हो जाएगा। आखिर जीवन में अंधकार तभी तक रहता है, जब तक जीवन के घर-आंगन में दो दीए न जल जाएं। संभव है, आप काफी संभ्रांत और प्रतिष्ठित व्यक्ति हों, पर कहीं ऐसा तो नहीं कि मानसिक अवसाद ने आपको घेर लिया हो? अपने मानसिक तनाव को मिटाने के लिए आपको किसी दवा-दारू का उपयोग करना पड़ रहा हो या रात को सोने के लिए नींद की गोली खानी पड़ रही हो? अगर ऐसा है, तो कृपया अपनी स्थिति का जायजा लें, अपनी उन ख़ामियों पर ध्यान दें, जिन्होंने आपको और आपके जीवन को कष्टकर बना दिया है। अपने साथ कुछ ऐसे प्रयोग करें कि जिनके द्वारा आप अपने अंतर-मन के रोगों को मिटा सकें। स्वस्थ जीवन के लिए व्यक्ति की मानसिकता का स्वस्थ होना ज़रूरी है। जीवन, जगत और प्रकृति के नियमों को समझकर व्यक्ति अपने मन की हर पेचीदगी से बच सकता है और इस तरह शांत, मुक्त, आनंदित जीवन का स्वामी बन सकता है। हर कार्य हो उल्लसित मन से बोझिल मन से किया गया काम और जिया गया जीवन भला किस काम का! सुखी जीवन का स्वामी तो वही है, जो अपने चित्त में किसी तरह का बोझ नहीं रखता; शांत, निश्चित और हर हाल में मस्त रहता है। जिसके जीवन में तनाव और घुटन है, उसकी स्थिति उस सरोवर की तरह होती है, जिसका पानी सूख चला हो। उसके मनोमस्तिष्क की वही स्थिति होती है, जैसे पानी के सूख जाने पर मिट्टी की। कभी आपने ध्यान दिया हो, ऐसे किसी तालाब पर, जिसमें पानी नहीं है और मिट्टी की सतह पर दरारें पड़ी हों। तनावग्रस्त व्यक्ति के मनो-मस्तिष्क की भी यही स्थिति होती है। हम अपने दैनंदिनीय जीवन में क्या करते हैं, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे मन और किस भाव से करते हैं। बेमन से किया गया कार्य 83 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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