Book Title: Jivandhar Charitra
Author(s): Kshatrachudamani
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 5
________________ उत्तम साधन छे, तथा एमांनी दरेक कहेवत कंठस्थ करवा लायक छे. आपणे चोतरफ द्रष्टी दोडावीरों, तो मालुम पडशे के, आपणा श्वेतांबरी बंधुओमां गुजराती भाषामां पुष्कळ ग्रंथो बहार पडी गया छे अने नवीन नवीन बहार पडताज जाय छे, पण आपणामां गुजराती भाषाना ग्रंथो मात्र आंगलीना वेढा उपर गणाय तेटलाज हजु प्रकट थयेला छे, तेमज गुजरातना दिगंबर जैनोमां उपदेशना अभावने लीधे वांचननो शोख विशेष न होवाथी, जो कोइ पुस्तक किंमतथी प्रकट करवामां आवे छे, तो तेनी मुद्दल किंमत उपजवी पण मुश्केल थइ पडे छे, जेथी लगभग ४ वर्ष थयां अमोए एक एवो प्रयास आरंभेलो छे के गुजराती भाषामां नवीन नवीन पुस्तकोना भाषांतरो करी प्रकट करवा अने तेनो ज्यां सुधी बने त्यां सुधी मफत अथवा तो जुज किंमते फेलावो करवो. आ प्रयासमां अमोने धीमे धीमे सफळता प्राप्त थती जाय छे, जे दि. जैन कोमने एक आनंददायक बीना छे. - आ मुजब धर्म परीक्षा, सुदर्शन शेठ, सुकुमाल चरित्र, मनोरमा, वगेरे ग्रंथो गुजराती भाषामां प्रकट करी जुदा जुदा ग्रहस्थो पासे मदद मेळवी, तेनो मफत फेलावो थइ चुक्यो छे अने आ ग्रंथ पण ते मुजब तदन भेट तरीकेज वेंचवा गादे प्रकट थाय छे. . .

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