Book Title: Jivandhar Charitra
Author(s): Kshatrachudamani
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 4
________________ प्रस्तावना विक्रम संवतना लगभग ११ मा सैकामां थइ गयेला . दिगंबर जैन आचार्य श्री वादीभसिंहसूरिए आ "क्षत्रचुडामणी" याने “जीवंधर चरित्र" ग्रंथ संस्कृत काव्यमां रचेलो छे, जेनो हिंदी अनुवाद लाहोरनिवासी वृद्ध, विद्याविलासी अने धर्मप्रेमी लाला मुंशीलालजी जैनी एम. ए. (गवर्नमेंट पेशनर) द्वारा तैयार करावीने मुंबाईना 'जैनग्रंथ रत्नाकर कार्यालय' द्वारा " जैनहितैषी" पत्रना संपादक श्रीयुत नाथुराम प्रेमीजीए प्रकट कर्यो छे, जेनुं गुजराती भाषांतर अमदावादनी शेठ प्रेमचंद मोतीचंद दिगंबर जैन बोर्डिगना एक आगला विद्यार्थी अने हाल नार(खेडा)मां डॉकटरी धंधो करता डॉ. भाइलाल कपुरचंद शाहे फुरसदनी वखतमां तैयार करी मोकली आपलं, ते संशोधन करीने आ ग्रंथ प्रकट करवामां आवे छे. आ ग्रंथना नायक श्री जीवंधर स्वामी क्षत्रियोना चुड़ामणी अर्थात् वीरशिरोमणी हता, तेथी आ काव्यग्रंथy नाम क्षत्रचुडामणी रखायलं छे. संस्कृत साहित्यमां आ एक अपूर्व ग्रंथज छे. आ ग्रंथनी कथा एटली तो रुचिकर, सुंदर, चित्तने आर्कषण करनार तथा अनेक कहेवतोअने दृष्टांतोथीभरपुर छेके, जेथी वांचकोने गम्मत साथे अपूर्व ज्ञान प्राप्त करवानुं एक

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