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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? था, फिर भी पाप कर्म के उदय से भोगवृत्ति और लालसा के अतिरेक से किए गए अत्यंत अमर्यादित खान-पान से इकट्ठे हुए कचरे को निकालने हेतु ऑपरेशन टेबल पर जाना पड़ा।
श्री नवकार महामंत्र की छत्र छाया के नीचे खूब स्वस्थता के साथ सोमवार को 11 बजे प्रारंभ हुआ ऑपरेशन दोपहर 4 बजे पूरा हुआ। छः
औंस जितना मवाद निकला और फेफड़ों में से पाँच हड्डियाँ सड़ी हुई निकलीं।
सभी डॉक्टर चकित बन गये कि इतना सारा मवाद निकला, इतनी सड़ी हुई हड्डियाँ निकलीं, फिर भी यह मरीज किस प्रकार जीवित है, और इतनी भंयकर बिगड़ी हुई स्थिति के बावजूद कल बारह बजे से रोग नहीं जैसा कैसे हो गया? रोग भयंकर होने के बावजूद रोगी स्वस्थ किस प्रकार रहा? यह क्या चमत्कार! सभी के हदय में 'गोड इज ग्रेट' (GOD IS GREAT) शब्द गुंज रहे थे।
मुझे चार बजकर दस मिनट पर स्ट्रेचर के द्वारा वापिस मेरे बिस्तर पर लाया गया। मैने वहां आते ही तुरंत फोन उठाकर डायल घुमाया। श्राविका को धर्म पर श्रद्धा मजबूत थी ही। फिर भी ज्यादा विश्वास जगे, इसलिए अस्पताल के फोन कंट्रोलर को मिसेज झवेरी का फोन जोड़ने को कहा। कंट्रोलर ने भूल से अस्पताल की मैट्रन के कमरे से जोड़ दिया। | मेट्रन को मेरी तबीयत की गंभीरता और ईश्वरीय शक्ति का चमत्कार बतानेवाली रविवार की अद्भुत घटना एवं ग्यारह बजे शुरु हुआ ऑपरेशन चार बजे पूरा हुआ, यह सब जानकारी थी ही। जिससे टेलीफोन में मेरी आवाज सुनकर, वह क्षण भर तो चमक गई और टेलीफोन में भाव विभोर होकर "गोड इज ग्रेट' बोलकर 'ओह डॉ. झवेरी! हेपी आर यु' (तुम खुश हो?) "थेंक यु" कहकर मैट्रन ने श्राविका के साथ बात कराने के लिा न जोड़ दिया।
मैंने फोन पर श्राविका को कहा कि "मैं एकदम स्वस्थ हूँ, श्री नवकार की कृपा से ऑपरेशन के....नहीं...नहीं....मृत्यु के टेबल पर से
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