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-जिसके दिल में श्री नवकार, ठसे करेगा क्या संसार? प्राप्त होती है। 6. आपत्ति के समय उसे गिना जाये तो सैंकड़ों आपत्तियाँ दूर होती हैं।
और रिद्धि के समय उसे गिना जाये तो उस रिद्धि का विस्तार होता है। 7. इस नवकार को जो श्वास की तरह कंठ में स्थापित करने वाला
यदि देवता होवे तो नवलक्ष्मी को प्राप्त करता है और नरेन्द्र
(मनुष्य) होवे तो विद्याधर के तेज को प्राप्त करता है। 8. जिस प्रकार सर्प के जहर का गारूड़ी मंत्र से नाश होता है, उसी
प्रकार नवकार महामंत्र समग्र पापरूपी विष का नाश करता है। 9.10 क्या यह नवकार महारत्न है? या चिंतामणि समान है? या कल्पवृक्ष
समान है? नहीं, नहीं, यह तो उनसे भी बढ़कर है। चिंतामणि रत्न | वगैरह और कल्पवृक्ष यह तो एक जन्म के सुख के कारण हैं,
जबकि श्रेष्ठ ऐसा नवकार तो स्वर्गापवर्ग को दिलाने वाला है। 11. जो कोई परमतत्त्व है और जो कोई परम पद का कारण है, उसमें
भी इस नवकार को ही परमयोगियों द्वारा चिंतन किया जाता है। 12. जो एक लाख नवकार गिनता है और श्री जिनेश्वर देव की
विधिपूर्वक पूजा करता है वह श्री तीर्थकर नाम कर्म का उपार्जन
(बन्ध) करे, इसमें संदेह नहीं है। 13. पांच महाविदेह की कुल 160 विजयों में, जहां शाश्वतकाल है, वहां
भी इस जिन-नवकार को निरन्तर पढ़ा जाता है। 14. पांच ऐरवत एवं पांच भरत में भी शाश्वत सुख देने वाला यह
नवकार ही है। 15. मरते समय जो धन्य पुरुष इस नवकार को प्राप्त करता है, वह
देवलोक में जाता है और परमपद को भी प्राप्त कर सकता है। 16. यह काल अनादि है। जब से यह है तब से भव्य जीवों द्वारा
नवकार पढ़ा जाता है। 17. जो कोई मोक्ष में गये हैं और जो कोई कर्ममल से रहित बनकर
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