Book Title: Jiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 450
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? नमो सिद्धाणं सहस्रार चक्र ब्रह्मरंध्र में -चोटी रखने के स्थान पर नमो आयरियाणं विशुद्धि चक्र गले में -कंठमणि के स्थान पर नमो उवजझायाणं अनाहत चक्र हदय के पास में नमो लोए सव्वसाहूणं मणिपूर चक्र नाभि के पास में एसो पंचनमुक्कारो स्वाधिष्ठान चक्र नाभि से आठ अंगल नीचे सव्व-पावप्पणासणो स्वाधिष्ठान चक्र नाभि से आठ अंगुल नीचे मंगलाणं च सव्वेसिं मूलाधार चक्र करोड़ रज्जु के अन्तिम मणके के पास पढम होइ मंगलं मूलाधार चक्र करोड़ रज्जु के अन्तिम मणके के पास . उपरोक्त चक्र मुख्य रूप से करोड़ रज्जु के अन्दर के भाग में जानना। पद्मासन, अर्ध पद्मासन, या सुखासन में सीधे बैठकर, बन्द आंखों से उपयोग को उन-उन चक्रों के स्थान में क्रमशः लेकर नवकार का जप हमेशा 108 बार करने से अनुक्रम से चक्रों में रही अशुद्धि दूर होती है। चित्त की चंचलता कम होती है। क्रमशः कुंडलिनी जाग्रत होकर ऊर्ध्वगमन कर आज्ञाचक्र से आगे जाते ध्यान-समाधिदशा के अनुभवपूर्वक आत्मानुभूति हो सकती है। एक एक चक्र, में एक एक पद के स्थान पर पूरे नवकार का भी जाप किया जा सकता है। (9) अर्थ के साथ नवकार जप : नवकार मंत्र का शब्दार्थ तथा विशेषार्थ जानने से जप करते समय पंच परमेष्ठि भगवंतों के प्रति अत्यंत अहोभाव-समर्पण भाव उत्पन्न होने से चित्त सरलता से स्थिर रह सकता है। इसलिए निम्नोक्त प्रकार से अर्थ सहित जप भी किया जा सकता है। नमो अरिहंताणं अरिहंत भगवंतों को नमस्कार हो नमो सिद्धाणं सिद्ध भगवंतों को नमस्कार हो नमो आयरियाणं आचार्य भगवंतों को नमस्कार हो नमो उज्झायाणं उपाध्याय भगवंतों को नमस्कार हो नमो लोए सव्वसाहूणं लोक में रहे सभी साधु-साध्वीजी भगवंतों को नमस्कार हो 421

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