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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? श्री नवकार मंत्र कैसे गिने जायें? ॐ शुद्ध होकर, श्वेत वस्त्र पहनकर, अनुकूल स्थान पर भूमि प्रमार्जन करके। ® पूर्व या उत्तर दिशा में आसन पर बैठकर। ॐ सूत की श्वेत माला लेकर, श्वेत कटासना बिछाकर, उणोदरी व्रत
के पालनपूर्वक। @ चित्त को "शिवमस्तु सर्वजगतः" की भावना से वासित करके। 8 दृष्टि को नासिका के अग्र भाग पर स्थापित करके।
धीरे-धीरे उसका प्रत्येक अक्षर पूरे शरीर में घुमे, उस प्रकार से
नवकार का जाप करना चाहिये। ® जाप की संख्या एक ही रखनी चाहिये अर्थात पांच माला गिनने के
नियम वाला पुण्यशाली आराधक छः माला गिन सकता है, किन्तु
पांच से कम नहीं गिनना चाहिये। 8 जाप की माला बदलनी नहीं चाहिये। 8 जाप करते समय शरीर नहीं हिलना चाहिये, कमर मुड़नी नहीं
चाहिये। 8 मानस जाप में होंठ बन्द रहने चाहिये और दांत खुले रहने चाहिये। ॐ उपांशु जाप में होठों का स्पंदन व्यवस्थित रहना चाहिये। 9 भाष्य जाप में उच्चार तालबद्ध रहना चाहिये। ॐ जाप पूरा होने के बाद कम से कम पांच मिनट तक आंखें बन्द
कर उसी स्थान पर बैठा रहना चाहिये। ऐसा करने से जाप-जनित सत्त्व के स्पर्शन का अद्भुत योग साधा जाता है, और कभी भाव
समाधि के अनमोल पल मिल जाते हैं। ® जाप के उपकरणों को पूर्ण बहुमान के साथ पवित्र स्थान पर रखना
चाहिये। 8 उपकरणों के प्रति अपना भाव श्री नवकार के प्रति अपने भाव को
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