Book Title: Jiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 433
________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? विराजमान हैं, जबकि वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र में जो विचरण कर रहे हैं वे 20 अरिहंत परमात्मा कहलाते हैं। |. प्रश्न 9. सिद्ध परमात्मा का वर्ण (रंग) कैसा होता है? उत्तर : इस प्रश्न के उत्तर में बड़ी संख्या में श्रोता लाल, सफेद आदि उत्तर देते हैं। परन्तु वास्तव में सिद्ध परमात्मा अशरीरी, अरूपी होने से उनका कोई वर्ण होता ही नहीं है। परन्तु सिद्ध पद की आराधना हेतु कुछ कारणों से शास्त्रों में आराधना लाल वर्ण से करने को कहा है। प्रश्न 10. नवकार के पांचवे पद में "लोए" शब्द का क्या अर्थ है? उत्तर : लोए अर्थात लोक में। अर्थात ऊर्ध्व अधो एवं तीर्छा इन तीनों लोकों में रहे सभी साधु-साध्वीजी भगवंतों को नमस्कार करने के लिए "लोए" शब्द रखा गया है। मेरूपर्वत की तलेटी में आयी समभूतला पृथ्वी से 900 योजन ऊपर ऊर्ध्व लोक गिना जाता है। 900 योजन नीचे अधो लोक गिना जाता है। प्रश्न 11.अधोलोक एवं ऊर्ध्वलोक में साधु भगवंत का संभव किस प्रकार हो सकता है? उत्तर : जंघाचारण एवं विद्याचारण मुनि लब्धि या आकाशगामिनी विद्या द्वारा एक लाख योजन ऊँचे मेरू पर्वत के बीच सोमनस वन वगैरह भाग में रहकर साधना करते हैं, वे ऊर्ध्वलोक में गिने जाते हैं। पश्चिम महाविदेह की धरती समभूतला पृथ्वी से ढलान में 1 हजार योजन जितनी ढली हुई है। वहां जो साधु-साध्वीजी भगवंत विचरण करते हैं, वे अधोलोक में गिने जायेंगे। प्रश्न 12. नवकार के पांचवे पद में "सव्व" शब्द किसलिए रखा गया है? .. उत्तर : सव्व अर्थात् सभी। यद्यपि साहूणं वगैरह शब्द बहुवचन में होने से अनेक साधुओं का समावेश हो सकता है, फिर भी साधुओं में जिनकल्पी, केवली, मनःपर्यवज्ञानी, अवधिज्ञानी, चौदहपूर्वघर, दशपूर्वधर, 404

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