Book Title: Jiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 419
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? जैसे दावानल शान्त होता है, वैसे ही पंच परमेष्ठी मंत्र के तेज से प्राणियों के उपद्रव का नाश होता है। | 10. पंच परमेष्ठी के पदों से संग्राम, सागर, हाथी, सर्प, अग्नि, सिंह, दुष्ट व्याधि, शत्रु, बन्धन, चोर, ग्रह, भ्रम, राक्षस और शाकिनी से होने वाला भय भाग जाता है। 11. परमेष्ठी मंत्र का स्मरण करने मात्र से पाप शान्त हो जाता है, तो फिर तप से प्रबल किया हुआ एवं विधि से पूजा हुआ वह क्या नहीं करेगा? दूध अपने आप में ही मीठा होता है, किन्तु विधि से गर्म किया हुआ एवं शक्कर से मिश्रित किया हुआ हो तो पृथ्वी में अमृत तुल्य बनता है। 12. वह पंच परमेष्ठी नमस्कार क्रिया रूप अक्षरमयी आराधना देवता तुम्हारा रक्षण करो, कि जो सुर संपदा का आकर्षण है, मुक्तिरूपी लक्ष्मी की प्राप्ति करवाती है, विपदाओं को दूर करती है, संसार की चार गतियों में उत्पन्न होने वाले आत्माओं के दुश्मनों के प्रति विद्वेष धारण करती है, दुर्गति की ओर जाने से रोकती है और मोह का प्रतिकार करती है। 13. जिनेश्वर के प्रति जिसने लक्ष्य निर्धारण किया है, उस जितेन्द्रिय और श्रद्धावान श्रावक द्वारा सुस्पष्ट वर्णोच्चार पूर्वक संसार का नाश करने वाले ऐसे पंच परमेष्ठी नमस्कार का एक लाख बार जाप और श्वेत सुगंधी लाख पुष्पों से श्री जिनेश्वर देव की विधिपूर्वक सम्यक् रूप से पूजा की जाये तो वह त्रिभुवन पूजित तीर्थकर बनता है। 14. अपने स्थान पर पूर्ण उच्चारपूर्वक, रास्ते में अर्ध उच्चारपूर्वक, दुर्घटना या आतंक अर्थात् तीव्र रोग या वेदना हुई हो तो 1/4 उच्चार पूर्वक तथा मौत तुल्य पीड़ा के समय मानसिक नवकार का जाप होना चाहिये। | 15. जिसके प्रभाव से चोर मित्र समान बनता है, सर्प फूल की माला 390

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