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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - वांकानेर-टंकारा के बीच में आये जड़ेश्वर महादेव की धर्मशाला में नवकार महामंत्र के आराधक प.पू.पं. श्री महायशसागरजी गणिवर्य म.सा. (हाल आचार्य श्री) का सत्संग मिला।
पूज्यश्री विहार करते-करते आसपास में जैन स्थान न होने से जड़ेश्वर महादेव धर्मशाला में एक दिन के लिए रुके थे और भवितव्यतावशात् ट्रेन्ट के सरपंच भी अपने भानजे के हदय के वाल्व के ऑपरेशन के बाद मानता पूरी करने जड़ेश्वर महादेव मन्दिर में दर्शन करने आये थे। वहाँ धर्मशाला में उपरोक्त जैन महात्मा को देखकर किसी पूर्व के संकेत अनुसार लालुभा अपने भानजे को एकदम अच्छा हो जाए, वैसी भावना से उनके आशीर्वाद लेने आये। 'सवि जीव करुं शासनरसी' की भावना में रमते हुए पूज्य श्री ने वात्सल्यमयी वाणी से उनको व्यसन त्याग करने की प्रेरणा दी। 'कम्मे सूरा सो धम्मे सूरा' पंक्ति को चरितार्थ करते हुए शैव धर्मानुयायी लालुभा ने एक ही क्षण में हाथ में पानी लेकर शंकर |तथा सूर्यनारायण की साक्षी में प्रतिदिन 100 बीड़ी पीने की अपनी वर्षों |
पुरानी आदत को सदा के लिए जलांजली दे दी। उनकी ऐसी पात्रता | देखकर पूज्य श्री ने भी यथायोग्य उपबृंहणा की। परिणाम स्वरूप चातुर्मास के दौरान पूज्य श्री के दर्शन करने हेतु खास अहमदाबाद गये। अपने भानजे को एकदम ठीक होने से लालुभा की पूज्य श्री के प्रति श्रद्धा बढ़ती गयी।
उसके फलस्वरूप लालुभा सं. 2038 में पूज्य श्री के जामनगर चातुर्मास के दौरान पत्र द्वारा पूज्य श्री के समाचार प्राप्त कर दर्शन करने चार बार जामनगर जाकर आये। प्रश्नोत्तरी द्वारा शैव धर्म एवं जैन धर्म के तत्त्वों का रहस्य समझे। पहले, महिने में दो बार इग्यारस का फलाहार युक्त उपवास करने वाले लालुभा अब केवल अचित्त पानी से शुद्ध | उपवास करने लगे। उन्होंने सात महाव्यसनों, कंदमूल एवं रात्रि भोजन का
सदा के लिए त्याग किया। अपने सगे भाई की लड़की की शादी में भी | रात्रि भोजन नहीं किया। शाम को प्रतिदिन चौविहार एवं सवेरे नवकारसी का पच्चक्खाण करने लगे। उन्होंने प्रतिदिन एक पक्की नवकार मंत्र की
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