Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 10
________________ म पुस्तक-प्रकाशन में सुकृत के सहयोगी स्व. श्री कानराजजी चौपड़ा स्व. श्री सुपा देवी चौपड़ा • स्व. श्री कानराजजी चौपड़ा जन्म–संवत् १६६८ चैत्र सुदि १३ जन्म-स्थान-पचपदरा पिता स्व. श्री बछराजजी चौपड़ा निर्भीक प्रखर वक्ता, न्याति में प्रमुख, उदार एवं न्यायप्रिय गोद पिता-स्व. श्री लछमणदासजी चौपड़ा (बछराजजी के अनुज) भ्राता-श्री अमृतराजजी, श्री कुशलराजजी, श्री छगनराजजी पुत्र--श्री गणपतराजजी चौपड़ा (बी. डी. टैक्सटाइल्स, मुम्बई) पौत्र-राजेश, पंकज, पौत्री हर्षलता, नीता स्वर्गवास-संवत् २०३२ चैत्र वदि १०, दिनांक २५-३-७६ विशेषताएँ–सरल, मधुर, निश्छल, करुणाशील अनेक आध्यात्मिक गुणों से परिपूरित, दीन-दुःखियों के संकटमोचक, पारदर्शी व्यक्तित्व । स्व. श्रीमती सुपा देवी चौपड़ा जन्म-संवत् १९७१ कार्तिक सुदि १३ जन्म स्थान-जसोल, जि. बाड़मेर पिता का नाम-स्व. श्री प्रतापमलजी कोठारी (मालानी की बड़ी जागीर जसोल के प्रमुख कामदार, व्यवहार कुशलता व सेवा भावना से जन-जन में प्रिय) भाई-श्री मिश्रीमलजी कोठारी श्री सोहनराजजी कोठारी (सेवानिवत्त जिला न्यायाधीश) बहिन--श्रीमती चम्पा देवी सालेचा (श्रद्धा की प्रतिमूति) स्वर्गवास-संवत् २०३३ कार्तिक सुदि ६ विशेषताएँ-कार्यदक्ष, कर्मठ, स्वाभिमानी, स्नेहशील, उदार व्यक्तित्व > > > > > > > > >

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