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सारंग लक्षण चरन
उन्नत धनु हाटक वर्ण शरीर
नमं शांति जग
में, चालीस । ति,
ईस ॥२॥
छन्द भुजंगप्रयात प्रभो आपने सर्व के फंद तोड़े,
गिनाऊं कछु मैं तिनों नाम थोड़े। पडो अम्बुधे बीच श्रीपाल राई,
जपो नाम तेरो भए थे सहाई ।। धरो राय ने सेठ को सूलिका पै,
जपी आपके नाम की सार माप । भये थे सहाई तब देव आये,
करी फूल वर्षा स-विष्टर सुहाये ।। जब लाख के धाम वन्हि प्रजारी,
भयो पांडवों पं महाकप्ट भारी । जब नाम तेरे तनी टेर कीनी,
करी थी विदुर ने वही राह दीनी ।। हरी द्रोपदो धातको खंड मांहीं,
तुम्हीं थे सहाई भला और नाहीं । लियो नाम तेरो भलो शील पालो,