Book Title: Jinabhashita 2006 01 02 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 5
________________ सम्पादकीय कुंडलपुर के बड़े बाबा का अतिशय गत ८-१० वर्ष पूर्व से कुंडलपुर के बड़े बाबा के वर्तमान मंदिर की जीर्ण-शीर्णता एवं अन्य न्यूनताओं के बारे में क्षेत्र कमेटी निरंतर चिंतित रही आई थी। मंदिर ऐसी जीर्ण दशा में पहुँच गया था कि उसके कारण बड़े बाबा की प्राचीन प्रतिमा को खतरा उत्पन्न हो गया था। मंदिर के जीर्णोद्धार की अनेक योजनाएँ बनीं, किन्तु विशेषज्ञों की यही राय रही कि मंदिर की दीवारों में ऐसी दरारें हो चली हैं जिनकी मरम्मत किया जाना संभव नहीं है। समय-समय पर भूकम्पों के झटके सहते हुए मंदिर जर्जर अवस्था में पहुंच गया था, जिसके कारण मूर्ति के लिए भी असुरक्षा का संकट उत्पन्न होने की पूरी-पूरी आशंका आ खड़ी हो गई थी। क्षेत्र कमेटी को जब मंदिर की मरम्मत किया जाना और उसके द्वारा उस अमूल्य धरोहर प्राचीन मूर्ति की सुरक्षा किया जाना संभव नहीं प्रतीत हुआ, तो वैकल्पिक उपायों के बारे में विचार किया जाना प्रारंभ किया गया। इस बीच भूकंप विशेषज्ञों के द्वारा क्षेत्र का गहन निरीक्षण कराया गया। उन्होंने बताया कि बड़े बाबा के मंदिर के आसपास का पहाड़ीक्षेत्र भूकंप प्रभावित क्षेत्र है। अत: मूर्ति की प्रभावी सुरक्षा के लिए भूकंपनिरोधी तकनीक के आधार पर नए मंदिर का निर्माण किया जाना ही एकमात्र उपाय है। क्षेत्र कमेटी ने वर्तमान मंदिर में स्थानाभाव के कारण दर्शनार्थियों को बड़े बाबा के भली प्रकार दर्शन-पूजन करने में प्रतिदिन अनुभव की जा रही कठिनाइयों पर भी विचार किया और नवीन विशाल एवं सुदृढ़ भूकंपनिरोधी बड़े बाबा के बड़े मंदिर के निर्माण की योजना लेकर बड़े बाबा के प्रतिनिधि छोटे बाबा प. पू. आचार्य विद्यासागर महाराज के चरणों में योजना के क्रियान्वयन हेतु आशीर्वाद प्राप्त करने उपस्थित हुए। पू. आचार्य श्री के मन में तो पहले से ही बड़े बाबा की मूर्ति की सुरक्षा की चिंता बसी हुई थी। हर बार बड़े बाबा के दर्शन करते समय उन्हें सुरक्षा योजना के संकेत मिलते रहते थे। छोटे बाबा आचार्य श्री को कमेटी की योजना अच्छी लगी और जब उन्होंने क्षेत्र कमेटी को भव्य नवीन मंदिर के निर्माण के लिए आशीर्वाद दिया, तो कमेटी को ऐसी अनुभूति हुई मानो उन्हें यह आशीर्वाद साक्षात् बड़े बाबा के द्वारा छोटे बाबा के माध्यम से प्राप्त हो रहा है। क्षेत्र कमेटी बड़े बाबा की मूर्ति की भव्यता के अनुरूप भव्य विशाल मंदिर के निर्माण में पूर्ण शक्ति के साथ जुट गयी। मंदिर-निर्माण-कला के विशेषज्ञ सोमपुरा-बंधु के निर्देशन में कार्य प्रारंभ किया गया। पहले पहाड़ी की भूमि को समतल कर भूकंपनिरोध हेतु पूरी भूमि पर कम्प्रेसर से गहरे होल कर सीमेंट ग्राउटिंग किया गया। प्रस्तावित मंदिर का मानचित्र एवं मॉडल देखकर दर्शकों का हृदय प्रफुल्लित हो जाता है। संपूर्ण मंदिर कलात्मक उत्कीर्णन सहित बंशी पहाड़ के मनोहर पत्थर से निर्मित किया जा रहा है। आशा की जाती है कि बड़े बाबा की विशाल प्रतिमा उक्त प्रस्तावित भव्य मंदिर में विराजित होकर सहस्राधिक वर्षों तक भव्य जीवों को अपनी वीतराग मुद्रा के सम्यक्त्वोत्पादक दर्शन देती रहेगी। ___इधर विशुद्ध भावनाओं एवं प.पू. आचार्य श्री के मंगल आशीर्वाद के साथ क्षेत्र कमेटी द्वारा नवीन मंदिर के निर्माण का कार्य प्रगति कर रहा था और उधर कतिपय पूर्वाग्रहों से ग्रसित जैन बंधुओं को यह सब नहीं सुहा रहा था। बड़े बाबा की असुरक्षित मूर्ति की सुरक्षा के लिए श्रद्धा और सद्भावना से प्रेरित हो किए जा रहे ये विकास कार्य उन बंधुओं के विद्वेषरंजित चश्मा लगे नेत्रों से विध्वंस कार्य दिखाई दे रहे थे। उन्हें नवीन मंदिर के निर्माण में संलग्न श्रद्धालु श्रावक अपने दृष्टिदोष के कारण विधर्मी आतंकवादी दिखाई देने लगे। जब उन्होंने इस नवीन मंदिरनिर्माण के पावन कार्य में संपूर्ण देश के दिगम्बरजैन समाज की श्रद्धा आस्था जुड़ी हुई देखी, तो वे पीछे के दरवाजे से इस पावन कार्य में बाधा डालने के लिए अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ जुट गए। जैसे-जैसे नवीन मंदिर का निर्माण उस स्तर के निकट पहुँचने लगा, जब वहाँ मूर्ति विराजित की जानी थी, वैसे-वैसे विघ्न-संतोषी बंधुओं की गतिविधियाँ तेज होने लगीं। उन्होंने क्षेत्र कमेटी को न्यायालय में केस दायर करने की धमकियाँ दी। साथ ही उन्होंने केन्द्रीय पुरातत्व विभाग एवं राज्य सरकार पर मंदिर के निर्माण कार्य को रुकवाने और मूर्ति के नवीन मंदिर में स्थानांतरण को रोकने के लिए पुरजोर दबाव डाला। पुरातत्व विभाग पर जोर देकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में कमेटी के विरुद्ध याचिका प्रस्तुत कराई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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