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अतिशय क्षेत्र १००८ श्री अजितनाथ मंदिर, नंदुरबार
सरिता महेन्द्रकुमार झांझरी
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के बाद अनुक्रम से ७ मूर्तियाँ उसी जगह से निकलीं। ७वीं मूर्ति निकलने के समय एक बैलगाड़ी आई व उस बैलगाड़ी का चक्का उस गड्ढे में गिरा जिससे ७वीं मूर्ति खंडित हो गई। उस मर्ति को तापी नदी में पथरा दिया गया। बाकी ६ मूर्तियों को पाटिल अपने घर ले गया। __५० साल पहले नंदुरबार में दिगम्बर जैनों का कोई घर नहीं था। अभी जो भी दिगम्बर जैनों के घर हैं, वह सब अलग-अलग गांव से आए हैं। इस समय 'नंदुरबार' में करीब १५ घर हैं। . ऊपर लिखी मूर्तियों का पूजन करने को बुजुर्ग वर्ग 'होल
मोयदा' गाँव जाते थे। ३ साल तक बुजुर्ग वर्ग ने पाटिल से अतिशय क्षेत्र १००८ श्री अजितनाथ मंदिर, नंदुरबार मूर्तियों की अनेक बार मांग की परंतु उसने मना कर दिया।
फिर उसके घर को एकाएक आग लग गई, तो वह हमारे मूर्तियों का इतिहास
बुजुर्गों के पास आया और कहने लगा अपनी मूर्तियाँ आप ले ___ नंदुरबार । यहाँ दिगम्बर जैन मंदिर ४० साल से है। यहाँ |
जाओ। पर इसके पहले दिगम्बर जैन मंदिर नहीं था। यह मूर्तियाँ
उस समय नंदरबार में कोई दिगम्बर जैन रहता नहीं था. शहादा तालुका में 'होल मोयदा' कस्बे में से एक पाटिल ने
सब आसपास के गाँवों में रहते थे। 'नींबोरा' गाँव में २ जमीन में से निकालीं। वह पाटिल घर से खेत जाने के लिए
जैनियों के घर थे। मूर्तियाँ वहाँ लाई गईं। निकला, आगे जाने पर उसके पैर को रास्ते में ठोकर लगी इसलिए वह पाटिल वहीं उसी जगह पर बैठ गया व बैठेबैठे जमीन को अपने हाथ से खोदने लगा। फिर खोदतेखोदते उसके हाथ को गोल-गोल पत्थर है, ऐसा महसूस हुआ तो वह घर आकर खोदने का सामान कुदाली, फावड़ा वगैरह लेकर उस स्थान पर पहुंचा जहाँ उसे ठोकर लगी थी।
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श्री अजितनाथ मंदिर की वेदी
भगवान
मूलनायक आदिनाथ भगवान
अब पाटिल ने खोदने का काम शुरू किया, खोदतेखोदते उसको भगवान् की मूर्ति दिखी। एक मूर्ति निकालने | 40 / जनवरी-फरवरी 2006 जिनभाषित Jain Education International
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