Book Title: Jinabhashita 2006 01 02 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 8
________________ बाबा" जो असुरक्षित गर्भगृह के ढाँचे मात्र में अवस्थित थे, अतः जर्जर हुये मंदिर के ढाँचे में विराजमान "बड़े उन्हें उनकी भव्यता एवं आकार के अनुरूप जब सुरक्षित | बाबा" को सुरक्षित एवं स्थायित्व देना हमारा कर्तव्य था। सुदृढ़ मंदिर में विराजने का सुप्रयास किया गया तो हमारे ही | हम इतिहास में, वर्तमान में तथा भविष्य में भी इन्हें आस्था भाई जो उन्ही भगवान को पूजते हैं, आज कानून की, शासन | पूर्वक पूजते हैं, पूज रहे हैं और पूजते रहेंगे। आज आध्यात्मिककी आड़ में आकर इस पुण्यशाली कल्याणकारी कार्य में | शक्ति एवं भक्तों के द्वारा भक्तिपूर्वक मंत्रों की शक्ति द्वारा बाधा डालने खडे हो गये हैं। यह कैसी मान्यता/धारणा/ "बड़े बाबा' को नूतन बड़े मंदिर में स्थापित किया है, कार्यकलाप है? क्या यही, उनकी जिनेन्द्र भगवान् के प्रति | ताकि सैकड़ों सालों तक करोड़ों भक्त अपने देवता के पूजनआस्था का प्रतीक है? वस्तुतः यह कषायों का खेल है, | भक्ति-दर्शन का लाभ ले सकें। यह अनुकरणीय विकास नेतागिरी एवं अपयश लूटने का उपक्रम है। पुरातत्त्व विभाग कार्य पुण्यबंध का कारण है, न कि आस्था को डिगानेवाला। अच्छी तरह जानता है कि पूजित स्थान-संस्थान धार्मिक | अतः यह दुष्प्रचाररूप कृत्य किसी दृष्टि से उचित नहीं, आस्था के केन्द्र हैं, उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता | बल्कि निंदनीय है-समाज इसका फैसला करे। और न अभी तक किया है। सुरक्षा के नाम पर स्थायित्व के | अब जब "बड़े बाबा'' पूर्ण सुरक्षित रीति से नये बडे तहत आज तक यहाँ पर पुरातत्त्व विभाग ने क्या रचनात्मक | मंदिर में विराजमान हैं, उसके निर्माण में पूर्व की तरह भारत कार्य किये? हमारे कथित जैन भाइयों ने क्या सृजनात्मक | वर्ष के समस्त जैन समाज से योगदान देने की अपील करता योग दिया इन बड़े बाबा को सुरक्षित एवं स्थायित्व प्रदान | हूँ। करने में, मात्र आलोचना के? क्या वे चाहते थे, कि बड़े नोट : आज से पूर्व तक विरोधियों की लिखी आशंकाओं बाबा इस अस्थिर-कमजोर ढाँचे में ही रहे आयें और किसी | एवं कुशंकाओं को अब विराम दे देना चाहिये, क्योंकि बड़े अनहोनी घटना भूकंप आदि से ध्वस्त हो जायें? हम सब | बाबा आज विस्तृत, सुदृढ मंदिर के गर्भगृह में पूर्ण सुरक्षित यह क्या खडे-खडे देखना चाह रहे थे-यही आस्था बड़े | विराजमान हैं। आइये, और दर्शन कीजिये। देखिये ये चमत्कार बाबा के प्रति उनकी थी? मैं जानता हूँ कि कोई रचनात्मक | बड़े बाबा की भव्यता का और पुण्य अर्जन कीजिये। सुझाव-स्कीम-चर्चा इस संबंध में, उन्होंने कभी नहीं की श्री दि. जैन महावीर आश्रम, कण्डलपर जिनके ये कषाय उपजी है। कुण्डलपुर में आयुर्वेदिक औषधालय का शिलान्यास कुण्डलपुर (हटा) जैन तीर्थ कुण्डलपुर में आयुर्वेदिक औषधालय का शिलान्यास कार्यक्रम राष्ट्रसंत परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल सान्निध्य में विधिविधान पूर्वक सम्पन्न हुआ। श्री दिगम्बर जैन पद यात्रा संघ जयपुर द्वारा सन् २००३ में जयपुर से सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर तक सम्पन्न ऐतिहासिक पदयात्रा के उपलक्ष्य में पुन: १८ दिस. २००५ को रेलगाड़ी स्पेशल द्वारा हजारों नरनारियों के साथ जयपुर से चलकर दमोह होते हुये कुण्डलपुर पहुँचे तीर्थयात्रियों की उपस्थिति में औषधालय के शिलान्यास का कार्यक्रम हुआ। बड़े बाबा के चित्र का अनावरण श्री गणेश जी राणा ने किया। आचार्य श्री के चित्र का अनावरण पदयात्रा संयोजक श्री सुभाष जी ने साथियों के साथ किया। २६ लाख की अनुमानित राशि से बनने जा रही आयुर्वेदिक औषधालय की प्रथम आरोग्य-वर्धिनी शिला बाबूलाल जी बाकलीवाल ने रखी। इस अवसर पर ५०१ रुपये वाले ५०१ सदस्य बनकर जयपुर यात्रीगणों ने औषधालय निर्माण की बात कही। श्री गणेश राणा, जयपुर ने एक लाख इक्यावन हजार रुपये, राजेन्द्र गोधा, जयपुर इक्यावन हजार रुपये, कुशल ठोलिया, जयपुर ने इक्यावन हजार रुपये राशि औषधालय निर्माण हेतु घोषणा की एवं साथ आये अनेक यात्रियों ने भी सामर्थ्यानुसार नगद राशि देकर. औषधिदान के पुण्य का संचय किया। जयकुमार जलज' हटा 6/जनवरी-फरवरी 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,Page Navigation
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