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दूध मांसाहार नहीं है
जयकुमार जैन 'जलज' 'अहा! जिंदगी' के नवम्बर २००५ वाले अंक में शाकाहार | २००१ को जी.एस.आर. ९०८(ई) 'भारत के राजपत्र विषयक अनूठी, संग्रहणीय सामग्री पढ़ने को मिली। किन्तु | असाधारण' सं. ६३० में प्रकाशित कराई थी। यह २० जून, इसी अंक में कुछ भ्रामक, असत्य एवं पूर्वाग्रह ग्रसित सामग्री | २००२ से प्रभावशील हो चुकी है। इस अधिसूचना में 'खाद्य को पढ़कर आश्चर्य, विस्मय भी हुआ। यानी सुस्वादमय | अपमिश्रण निवारण (नवां संशोधन) नियम २००१' के अंतर्गत व्यंजनों के बीच कटुक कसायलापन जैसा अनुभव भी हुआ। 'हरे रंग वाली वर्गाकार आकृति के भीतर हरे रंग (Green ___ इस अंक के पृष्ठ ११ पर 'खरीदने से पहले पहचानें' | Colour) वाले भरे हुए गोले' को पैक्ड डिब्बाबंद 'शाकाहार' शीर्षकगत जानकारी में असावधानीवश कुछ असत्य, | (इस हेतु 'शाकाहारी' शब्द लिखा/बोला जाना भी गलत है) अप्रामाणिक सूचना प्रकाशित हुई/की गई है। इस विषय में | उत्पादों के पैकेटों पर उत्पाद के नाम या ब्राण्ड नाम के प्रामाणिक तौर पर तथ्यात्मक विवरण यह है कि भारत | नजदीक ही तथा मुख्य प्रदर्शन फलक पर ही बनाया जाना सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली | अनिवार्य कर दिया। ने (ना कि 'भारतीय मानक ब्यूरो' ने) 'भारत के राजपत्र | खाद्य पदार्थ विषयक समस्त प्रकार की प्रचार सामग्रियों असाधारण' सं. १६ में दिनांक ४ अप्रैल २००१, बुधवार को | पर ये प्रतीक चिह्न उक्त राजपत्रों में दर्शाई गई तालिकाओं के जी.एस.आर. २४५ (ई) अधिसूचना प्रकाशित कराई थी। अनुसार प्रदर्शन फलक के आकार के आधार पर छोटे-बड़े यह ४ अक्टूबर, २००१ से प्रभावशील भी हो चुकी है। होंगे। इस हेतु विशेष विवरण उक्त राजपत्रों में देखा जा
इस अधिसूचना में 'खाद्य अपमिश्रण निवारण (चौथा | सकता है। संशोधन) नियम २००१' के अंतर्गत 'भूरे रंग (Brown | | इसी अंक के पृष्ठ १२ से १५ तक में प्रकाशित लेखों/ Colour) वाली वर्गाकार आकृति के भीतर भूरे रंग वाले भरे | जानकारियों के परिप्रेक्ष्य में भी उक्त जी.एस.आर.२४५ (ई) हुए गोले' को ('खाली गोला' अथवा 'लाल रंग वाला' गोला | अधिसूचना का अवलोकन करना महत्त्वपूर्ण है। भारत सरकार नहीं) पैक्ड-डिब्बाबंद 'मांसाहार' उत्पादों के पैकेटों पर । के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसमें 'मांसाहार' की परिभाषा भी उत्पाद के नाम या ब्राण्ड नाम के नजदीक ही एवं मुख्य | सुनिश्चित कर दी है। उसके अनुसार 'मांसाहार खाद्य पदार्थ प्रदर्शन फलक पर ही बनाया जाना अनिवार्य कर दिया है। से तात्पर्य ऐसे खाद्य पदार्थ से है जिसमें पूर्णत: या अंशत: __ इस अंक में अनेकशः 'मांसाहार' या 'शाकाहार' रूप | किसी भी पशु, पक्षी, जलीय या समुद्री जीव जंतु या अंडे या पदार्थों या उत्पादों को 'मांसाहारी' या 'शाकाहारी' लिखना | पशु-स्रोत से प्राप्त किन्हीं भी उत्पादों-इसमें दूध या दूध से या बोला जाना भी भाषा/व्याकरण की दृष्टि से गलत प्रयोग | बने हुए पदार्थ शामिल नहीं हैं का प्रयोग किया गया हो।' इस माना जाएगा। कारण मांसाहार या शाकाहार सामग्री के परिभाषा से यह सुस्पष्ट हो जाता है कि जहाँ भारत सरकार उपयोगकर्ता को 'मांसाहारी' या 'शाकाहारी' यानी 'मांस- के उक्त मंत्रालय ने अंडों को मांसाहार माना ही है, वहीं 'दूध आहारी' या 'शाक-आहारी' कहा जाना उचित है ना कि या दूध से बने हुए पदार्थों को मांसाहार नहीं माना है। इस पदार्थ को।
कारण से अंक के पृष्ठ १४-१५ पर प्रकाशित खोजात्मक इसी भांति, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण | लेख 'क्या दूध मांसाहार है?' की सत्यता/खोज पर स्वयमेव मंत्रालय, नई दिल्ली ने ही एक अन्य अधिसूचना २० दिसम्बर | प्रश्नचिह्न लग जाता है।
• जिन पुरुषों ने कषायों का दमन और इन्द्रियों को वश में नहीं किया, उनका कथन व्यभिचारी जन के कथन के समान
यथार्थ व हितकर नहीं हो सकता है। The statements of men who haven't controlled passions and subjugated their senses are like the words of an adulterer. They can never be authentic and beneficial.
'वीरदेशना' से साभार
जनवरी-फरवरी 2006 जिनभाषित / 37
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