Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 49
________________ जीव-विज्ञान पदार्थ होते हैं या पुद्गल होते हैं। उनमें स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण की योग्यता अवश्य रहती है। जो भी हमारे भोग-उपभोग में पदार्थ आते हैं वे इन्हीं इन्द्रियों के विषय बनते हैं। चेतना होते हुए भी चेतना कभी चेतना का उपभोग नहीं कर सकती। चेतना कभी किसी चेतना का न स्पर्श कर सकती है, न उसका रस ले सकती है, न किसी को सँघ सकती है और न ही चेतना कभी चेतना को देख सकती है। ये इन्द्रियों के माध्यम से इन्द्रियों के विषय ग्रहण होते हैं। चेतना इन सबको करता रहता है, भोगता रहता है। इसलिए चेतना इन इन्द्रियों का, “भोक्ता" कहलाती है। इन इन्द्रियों का स्वामी कहलाती है। यह अपने शरीर का भीतरी विज्ञान हैं इसी विज्ञान के साथ एक चीज और आ जाती है। यदि पाँच इन्द्रियाँ ही होती तब तो आपकी दौड़ इतनी नहीं होती जितनी आज दिखाई दे रही है। उस दौड़ का सबसे बड़ा कारण आगे आने वाले सूत्र में कहा गया है। जब तक इन पाँच इन्द्रियों के साथ मन नहीं जुड़ता तब तक इन पाँच इन्द्रियों के अनेक-अनेक, नए-नए विषयों के लिए कभी भी आत्मा का पुरुषार्थ नहीं होता। इसलिए इन पाँच इन्द्रियों के जितने भी हम अच्छे-अच्छे विषय ढूँढ़ते हैं वह इन इन्द्रियों के कारण नहीं ढूँढ़ते हैं वह हम मन के कारण से ढूँढ़ते हैं। मन का विषय आगे के सूत्र में बताया गया है स्पर्शन रसना 5 प्रकार का रस 8 प्रकार का स्पर्श अनेक खुरपा मन श्रुतज्ञान के विषय भूत पदार्थ 18 पंखुड़ियों का फूला कमल अमन के विषय Ba गंध 2 प्रकार का घ्राण श्रुतमनिन्द्रियस्य ।। 21 || अर्थ-मन का विषय श्रुतज्ञान का विषयभूत पदार्थ हैं। ___ मनिन्द्रिय-मन इन्द्रिय नहीं है अर्थात् अनिन्द्रिय है। यह मन जो है वह इन्द्रिय और एक अनिन्द्रिय कहलाता है। इन्द्रिय की तरह इसका स्थान नियत नहीं है। जैसे-आँख का स्थान नियत है। आँख को हम खोलेंगे व आकार Ra और आँख से ही हम देखेंगे। कान का स्थान नियत है। कान, कान की जगह पर ही मिलेगा, आँख के स्थान पर ही आँख होगी। लेकिन मन कहाँ होगा? मन का इन्द्रियों की तरह कोई भी स्थान नियत नहीं है। इस मन के कारण ही सारी गड़बड़ियाँ होती हैं। इन्द्रियों की तरह इसका स्थान भी नियत नहीं है और इसका विषय भी नियत नहीं है। जैसे-स्पर्श इन्द्रिय का विषय नियत है-स्पर्श को ही ग्रहण करेगा। रसना इन्द्रिय का विषय नियत PIL का का काका KIK Ink 19 49

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