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जीव-विज्ञान
कारण उसमें दिए गए हैं। इसलिए हमें कभी भी अन्यथा बातों में नहीं आना है कि वर्तमान में अकाल मरण नहीं होता है। यह सिद्धान्त जो बताया जाता है कि कोई भी जीव है वह अपनी आयु पूर्ण करके मरेगा क्योंकि अगली आयु तो उसके पास रहती नहीं है। पिछले जन्म की आयु अगली आयु में रहेगी नहीं तो उसका सिद्धान्त यह है कि जो मरण हमारा आगे होना था उसको हमने पहले ही कर दिया। आयु के सभी निषेकों का क्षय शीघ्रता से एक साथ हो जायेगा और वह आयु समय से पहले क्षय हो जाएगी। उसका नाम अकाल मरण है।
जैसे आपने कोई दीपक जलाया उसमें तेल डालकर रखा। अगर वह तेल अपने समय से जलता तो वह पूरी रात भर जल सकता था, यह हो गया उसका सकाल आयु का क्षय क्योंकि तेल का उपयोग सकाल रूप में हो रहा है। अगर आपने उसमें कोई छेद कर दिया या उसको तोड़ दिया तो वह तेल एक साथ जलकर समाप्त हो जाएगा तो यह कहलाएगा उसका अकाल क्षय । क्योंकि तेल तो पूरा जल गया लेकिन वह समय से पहले जल गया। इसी तरह से आयु जब कभी घात को प्राप्त होगी तो एकदम से तेल की तरह जल जाएगी। अगले जन्म में पिछले जन्म की आयु साथ नहीं जाएगी। वह उसी जन्म में पूरी समाप्त हो जाएगी। यह स्थिति अकाल मरण की कहलाएगी। इनमें से ऐसे कारण नहीं बनते हैं तो वह पूर्ण आयु को भोगकर सकाल मरण को प्राप्त होगा। इस तरह मरण में आयु का क्षय होना तो निश्चित होता है। आयु के क्षय होने के दो तरीके होते हैं - एक समय पर घात हो जाना और दूसरा समय से पहले घात हो जाना।
अतः आपको समझना चाहिए कि मनुष्य और तिर्यंचों में दोनों प्रकार की ही सम्भावना होती है। क्योंकि अकाल मरण किसका नहीं होता है उन्हीं के लिए यह सूत्र बनाया गया है। इसलिए हमें अकाल मरण से बचना चाहिए। आप ऐसा नहीं करना कि ट्रेन की पटरी पर जाकर लेट जाएं और सोचे यदि आयु होगी तो बच जाएंगे और नहीं होगी तो मर जाएंगे आप इस अज्ञानता में इन सूत्रों को पढ़ने के बाद मत रहना । इस तरह यह अध्याय यहीं समाप्त होता है ।
शंका- सल्लेखना में कौन-सा मरण होता है?
समाधान-यदि दो या चार घंटे का कोई फर्क पड़ जाएं तो कोई बात नहीं है । सल्लेखना में सकाल T मरण भी होता है। अगर वह सल्लेखना सही ढंग से की गई हो सहजता में की गई हो और यदि थोड़ी बहुत आयु की हीनाधिकता हो जाती है तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। दो चार घंटे या एक या दो दिन का अन्तर भी आता है तो उससे कोई अन्तर नहीं पड़ता है क्योंकि हम मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले हैं। सल्लेखना एक बहुत बड़ा काम होता है।
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