Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 71
________________ जीव-विज्ञान सभी चीजें अपने अंदर की Inner feeling हैं। इन्हीं feelings के माध्यम से होने वाली healing system है। इस पर आज विदेशों में बड़े-बड़े डॉ. बने हुए हैं। इसी healing system के माध्यम से चीन, जापान में बड़ी-बड़ी थैरोपी निकली हुई हैं। ये सभी system इसी के माध्यम से चलते हैं। तैजस और कार्मण शरीर ये हमारी आत्मा से जुड़े हुए होते हैं। लोग इन तक पहुँच जाते हैं और अपने शरीर की healing भी कर लेते हैं। लेकिन आत्मा तक तो पहुँचने के लिए आपको इससे और भीतर जाना पड़ेगा। क्योंकि आत्मा इन शरीरों की गिरफ्त में है और मुख्य रूप से तैजस और कार्मण शरीर आत्मा से बंधे हुए हैं। इस प्रकार आपके अंदर तीन प्रकार के शरीर आपकी आत्मा से बंधे हुए हैं। दो शरीर आपको दिखाई नहीं देते क्योंकि वे तो आपकी आत्मा से बंधे हुए रहते हैं। तीसरा जो ऊपर-ऊपर है जो आपको दिखाई देता है। ये तीन प्रकार के शरीर प्रत्येक संसारी प्राणी के पास है। कोई भी संसारी प्राणी इन तीन शरीर से रहित नहीं होता है। अगर होगा तो केवल विग्रहगति में होगा और वह भी केवल एक समय, दो समय या तीन समय के लिए ही होगा। वह उस समय तैजस और कार्मण शरीर वाला होगा, तीसरा शरीर उसका उस समय छूट जाएगा। आगे के सूत्र में आचार्य शरीरों की सूक्ष्मता का वर्णन कर रहे हैं परं परं सूक्ष्मम् ।। 37 || अर्थ-पाँचों शरीरों में पूर्व की अपेक्षा आगे आगे के शरीर सूक्ष्म हैं। ये सभी शरीर परं-परं अर्थात् आगे-आगे के शरीर सूक्ष्म हैं। औदारिक शरीर से वैक्रियिक शरीर सूक्ष्म होता है, वैक्रियिक शरीर से आहारक शरीर सूक्ष्म होता है। आहारक शरीर से तैजस शरीर और सूक्ष्म होता है और तैजस शरीर से कार्मण शरीर अधिक सूक्ष्म होता है। आगे के सूत्र में शरीरों के प्रदेश के बारे में आचार्य कहते हैं प्रदेशतोऽसंख्येयगुणं प्राक् तैजसात् ।।38 ।। अर्थ-प्रदेशों की अपेक्षा तैजस शरीर से पहले के तीन शरीर औदारिक, वैक्रियिक और आहारक में पहले की अपेक्षा अगले में असंख्यात गुणे प्रदेश हैं। आचार्य कहते हैं कि इन औदारिक आदि तीन शरीरों के जो प्रदेश हैं, प्रदेश अर्थात् इनके जो परमाणु हैं जिनसे यह शरीर बनता है वे तो असंख्यात गुणे-असंख्यात गुणे होते चले जाते हैं। अर्थात् औदारिक शरीर से वैक्रियिक शरीर में परमाणुओं की संख्या अधिक है। जिन परमाणुओं से वैक्रियिक शरीर बना है उन परमाणुओं की संख्या वैक्रियिक शरीर में Quantity की अपेक्षा से अधिक है। लेकिन वह शरीर सूक्ष्म है। परमाणु अधिक होने पर भी उसमें सूक्ष्मता से परिणमन हो रहा है। ये उन शरीरों के परमाणुओं की विशेषताएं हैं। यह जरूरी नहीं है। अगर किसी चीज में परमाणु अधिक हो, द्रव्य अधिक हो तो वह चीज हमें स्थूल रूप में दिखाई दे। कभी-कभी ऐसा होता है आपको कोई चीज बड़ी दिखाई देगी लेकिन उसमें परमाणुओं की संख्या अधिक होने पर भी वह चीज हल्की 71

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