Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 73
________________ जीव-विज्ञान हमें समझ लेना चाहिए कि हमारी आत्मा ऐसे अनन्त-अनन्त परमाणुओं वाले दो घनीभूत शरीरों से बंधी हुई है। इसी के कारण आत्मा के जो गुण हैं वह प्रकट नहीं हो पाते हैं। इन कार्मण शरीरों के माध्यम से ही अनेक प्रकार के कर्मों का जो बंध हैं वे सभी इन अनन्त-अनन्त परमाणुओं के साथ आत्मा के प्रत्येक, एक-एक पाइन्ट से बंधे हुए हैं। वह कार्मण शरीर का बन्ध और तैजस शरीर का बन्ध इस तरह से आत्मा में निरन्तर चलता रहता है। यह कहलाएगा-'अनन्त गुणे परे अर्थात् तैजस से भी कार्मण परमाणुओं में और अनन्त गुणी संख्या हो गई। अनन्त का क्रम तो आत्मा से बंधा है। यह तो असंख्यात-असंख्यात संख्या वाले हैं जो हमारे शरीर में है और यह सब छूट जाता है परन्तु अनन्त वाला नहीं छूटता है। उसकी संख्या बराबर बनी रहती है। उसके घनत्व से अपनी आत्मा को मुक्त कराना यह सबसे बड़ा कठिन कार्य है। आगे आचार्य तैजस और कार्मण शरीर की विशेषता कहते हैं अप्रतिघाते।।4011 अर्थ-तेजस और कार्मण शरीर अप्रतिघात-बाधा रहित है अर्थात् किसी भी मूर्तिक पदार्थ से न रूकते हैं और न किसी को रोकते हैं। यहाँ अन्त के दो शरीर इसी सूत्र के साथ सम्बन्ध रखेंगे। 'अप्रतिघाते' का अर्थ है-इनका कहीं पर भी प्रतिघात नहीं होता है। इनके गमन करने में कोई भी कठिनाई या विरोध कहीं पर भी नहीं आएगा। इन दोनों शरीर के साथ आत्मा जाएगा तो किसी भी जगह से निकल जाएगा। पर्वतों के अंदर भी घुस जाएगा, पर्वतों के पार भी चला जाएगा, समुद्र की तह तक चला जाएगा, लोक के अन्त तक भी चला जाएगा। कहीं पर भी ये कार्मण और तैजस शरीर प्रतिघात को प्राप्त नहीं होते। इन्हें कहीं पर भी रूकावट नहीं आती। इसलिए आत्मा कहीं पर भी जाकर जन्म ले सकता है। इस औदारिक शरीर के साथ आप किसी भी दीवार को पार नहीं कर सकते लेकिन इस कार्मण और तैजस शरीर के साथ आत्मा मोटी-मोटी दीवारों को भी पार कर सकता है। इसलिए आचार्य कहते हैं 'अप्रतिघाते' अर्थात् ये किसी भी मूर्तिक पदार्थ से न रूकते हैं और न किसी को रोकते हैं। इस कार्मण और तैजस शरीर के साथ आत्मा पाताल लोक में छः राजू नीचे सातवीं पृथ्वी तक भी जाकर जन्म ले सकती है। एक समय, दो समय में आत्मा कहाँ से कहाँ तक पहुँच जाता है ?उस शरीर को जो यहाँ छूट गया है उसको गाढ़ने के लिए कुदाली चाहिए, फावड़ा चाहिए तब उसका शरीर नीचे जाता है। इन दोनों शरीरों के साथ आत्मा कहीं का कहीं पहुँच जाता है। इसके लिए कहीं भी कोई व्यवधान नहीं है। आप विचार करें यदि पूरे कमरे को बंद कर दें, कहीं भी कोई भी छेद बाकी न रह जाए, उसे काँच से पैक कर लो चाहे P.O.P लगाकर पैक कर लो फिर भी आप उस आत्मा को वहाँ रोक नहीं पाओगे। विज्ञान सभी प्रयास कर रहा है और आत्मा को पकड़ना चाहता है क्योंकि वास्तव में वह इस

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