Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 76
________________ जीव-विज्ञान किस जन्म से कौन शरीर होता हैं?आचार्य कहते हैं गर्भसम्मूर्छनजमाद्यम् ।।45।। अर्थ-गर्भ और सम्मूर्छन से उत्पन्न हुआ शरीर आद्य-प्रथम = औदारिक शरीर कहलाता है। औदारिक शरीर किसको प्राप्त होता है? उसके लिए इस सूत्र में बताया जा रहा है। जो गर्भज जन्म वाले हैं और सम्मूर्छन जन्म वाले हैं वे सभी जीव औदारिक शरीर वाले होते हैं। औपपादिकं वैक्रियिकम् ।।46|| प्रदेश सबसे कम । (पर अनंत) औदारिक से असंख्यात गुणे वैक्रियिक से असंख्यात गुणे आहारक से अनंत गुणे (सबसे ज्यादा (तेजस से अनंत वैक्रियिक से सूक्ष्म सबसे स्थूल शरीर सबसे औदारिक से सूक्ष्म आहारक से सूक्ष्म सूक्ष्म आहारक छठे गुणस्थानवर्ती आहारक ऋद्धिधारी ( मुनिराज कार्मण औदारिक मनुष्य व तिर्यंच वैक्रियिक देव व नारकी तेजस सभी संसारी जीव सभी संसारी जीव अर्थ-उपपाद जन्म से होने वाला देव-नारकियों का शरीर-वैक्रियिक कहलाता है। वैक्रियिक शरीर किसका होता है?आचार्य कहते हैं उपपाद जन्म वालों का वैक्रियिक शरीर होता है। उपपाद जन्म वाले कौन होते हैं?तो पिछले सूत्र में बताया गया था- 'देवनारकाणामुपपादः' अर्थात् देव और नारकियों का उपपाद जन्म होता है। इसलिए उनका शरीर वैक्रियिक शरीर होगा। 76

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