Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 65
________________ जीव-विज्ञान आप देखोगे तो उनके शरीर पर इसी तरह की पर्त लिपटी हुई होती है। यह जरायु कहलाता है अर्थात् जरायु से लिपटा हुआ जो जीव है वह कहलाता है जरायुज-जन्म वाला जीव । जिसमें उनके ऊपर माँस खून आदि का आवरण पड़ा हुआ होता है। उसको साफ किया जाता है तब वह बच्चा हिलने-डुलने लायक या कुछ करने लायक होता है। जिन जीवों का जन्म इस प्रकार से हो उन्हें जरायुज-गर्भ-जन्म वाले जीव कहते हैं । यह हमें स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए। दूसरा अण्डज जन्म होता है। मुर्गे, कबूतर आदि के जीव अण्डों में उत्पन्न होते हैं। जो जीव अण्डों में से जन्म लेकर निकल रहे हैं वो भी गर्भजन्म वाले ही जीव हैं। क्योंकि गर्भ में ही उनका अण्डा बना है। उनका सम्मूर्छन जन्म नहीं है। सम्मूर्छन जन्म वाले जीवों के जो अण्डे होंगे वे अलग होंगे। जैसे-आप कभी-कभी देखोंगे चींटी अपने अण्डे ले जाती है तो उनका जन्म गर्भज या अण्डज जन्म नहीं कहलाएगा। वह उसके सम्मूर्छन जन्म का ही परिणाम है। आपको लगेगा अण्डज जन्म हो रहा है लेकिन वह वस्तुतः उसके आस-पास बना हुआ एक वातावरण होता है। उसमें किसी भी प्रकार का गर्भज की सूचना देने वाला कोई लक्षण नहीं है। उनका जन्म सम्मूर्छन जन्म कहलाएगा। अण्डों से जिनका जन्म होगा उसे अण्डज-गर्भ-जन्म कहेंगे। तीसरा पोत-जन्म होता है। पोत जन्म से तात्पर्य होता है-कुछ जानवर ऐसे होते हैं जिनके बच्चे जन्म लेते ही उछल-कूद करने लग जाते हैं। सिंह, हिरण आदि के बच्चे ऐसे ही होते हैं, ऐसा सुनने में आता है। जन्म लेने के तुरन्त बाद ही ये बच्चे कूदने लग जाते हैं इनके ऊपर जरायु का कोई आवरण नहीं होता है। ऐसे जीवों को पोत जन्म वाले जीव कहते हैं। ये भी गर्भज जन्म वाले ही होते हैं। उपपाद जन्म किसके होता हैं? आचार्य बताते हैं देवनारकाणामुपपादः ।। 34 ।। अर्थ-देव और नारकियों के उपपाद-जन्म होता है। आचार्य कहते हैं-देव और नारकियों के जन्म को उपपाद-जन्म कहते हैं। मनुष्यों का जन्म उपपाद-जन्म नहीं होता है। चाहे विज्ञान कितने भी टेस्ट ट्यूब बेबी बना लें या कुछ और बना ले। उसमें सारी प्रक्रिया गर्भ वाली ही चल रही है। यह बात अलग है वह गर्भ जैसा वातावरण किसी ट्यूब में एकत्रित कर सकते हैं। लेकिन जो भीतरी प्रक्रिया है, गरण अर्थात् मिश्रण की और गर्भ की वह तो प्रक्रिया वही चलती है तभी इस जीव की उत्पत्ति होती है। माता के द्वारा उपभुक्त आहार के गरण होने को गर्भ कहते हैं। इस तरह से देव और नारकियों का जन्म उपपाद-जन्म होता है। सम्मूर्छन जन्म किसके होता है?आचार्य बताते हैं -65

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