Book Title: Jeev Vigyan
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Vidya Sodhalay Samiti

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Page 66
________________ शेषाणां सम्मूर्छनम् ।। 35 ।। अर्थ- गर्भ और उपपाद जन्म वालों से शेष बचे जीवों का सम्मूर्छन जन्म होता है। जीव-विज्ञान जन्म एकेन्द्रिय विकलेन्द्रिय लब्धि अपर्याप्तक मनुष्य सम्मूर्छन शेष जीवों का जो जन्म होता है उसे सम्मूर्छन जन्म कहते हैं। शेष जीवों से तात्पर्य- जो गर्भज जन्म वाले और उपपाद जन्म वाले जीवों के बाद शेष रह गए जीव हैं उन्हें सम्मूर्छन जन्म वाले जीव कहते हैं। जिन जीवों में गर्भज के लक्षण न दिखें- जरायुज, अण्डज व पोत और उपपाद जन्म वाले भी न हो, शेष बचे हुए जीव सम्मूर्छन जन्म वाले जीव कहलाएंगे। ऐसे जीवों के शरीर बनते रहते हैं। उन जीवों के शरीर की भिन्नता आगे बताई जा रही है। गर्भ उपपाद शंका- विग्रहगति में जब जीव गमन करता है तो मोड़ों की जो संख्या होती है वह किस चीज पर निर्भर करती है? योगभूमिया तिर्यंच भोगभूमिया मनुष्य पर्याप्त मनुष्य ↑ गर्भ समाधान- मोड़ों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि उसको कहाँ तक पहुँचना है और वहाँ तक पहुँचने में श्रेणी के अनुसार कितने मोड़े लग सकते हैं ? शंका इन जीवों के नियम से उपरोक्त जन्म ही होते हैं । 66 सम्मूर्च्छन जब जीव एक गति से दूसरी गति में जाता है तो वह वहाँ परछाई के रूप में जाता है या हो जाता है अथवा किस रूप में जाता है? जरायुज अण्डज पोत देव नारकी शेष सभी जीवों का सम्मूर्छन जन्म होता है उपपाद • देव नारकी

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