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जीव-विज्ञान
पर विराजमान हो जाएगी। उनके लिए यह सूत्र आया है कि मुक्त जीवों की गति विग्रह से रहित होती है। - इसका अर्थ यह भी समझ सकते हैं कि जीव केवल जीव ही रह जाएँ, जिसमें कोई कर्म न रहें। ऐसे कर्म से रहित जीवों के लिए यहाँ पर जीव कहा गया है। दूसरा अर्थ इसका यह भी ले सकते हैं कि आगे आने वाले जो संसारी जीव हैं उनसे भी इसका सम्बन्ध रख सकते हैं। क्योंकि अविग्रह वाली गति संसारी जीवों की भी होती है और मुक्त जीवों की भी होती है। मुक्त जीवों की तो नियम से होगी लेकिन संसारी जीवों की हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती है। अगर होती है तो एक समय में ही उस जीव का वहाँ जन्म हो जाएगा? उस गति को हम ऋजु गति कहेंगे।
इससे हम समझ सकते हैं कि ऋजु का अर्थ होता है-बाण या सीधा। जैसे हम किसी बाण को छोड़ते हैं तो वह सीधा जाता है और उसकी जो गति होती है उसमें कोई मोड़ा नहीं होता है। इसी तरह से संसारी जीवों की भी ऐसी गति होती है जिसमें वह सीधे जाकर उत्पन्न हो जाते हैं। एक समय में ही उनका वहाँ पर जन्म हो जाता है। अर्थात् यहाँ पर मरण हुआ और अगले ही समय में उसका जन्म हो गया। एक समय की उस गति को ऋजु गति या अविग्रहा गति कह सकते हैं। बीच में कोई समय में अंतर नहीं आया। दूसरी होती है विग्रहगति जिसमें हमें कोई मोड़ा लेना पड़े। आचार्य यह बताने वाले हैं कि हम किस गति में कितने मोड़ा ले सकते हैं
संसारी जीवों की गति व समय
विग्रहवती च संसारिणः प्राक् चतुर्थ्यः ।। 28 ।। अर्थ संसारी जीव की गति चार समय से पहले पहले विग्रहवती और अविग्रहवती दोनों प्रकार की होती है।
सूत्र में जो "च' शब्द यहाँ पर आया है वह यह बताने के लिए आया है कि पूर्व सूत्र से आप अविग्रह का भी सम्बन्ध जोड़ लेना क्योंकि संसारी जीवों की अविग्रह वाली भी गति होती है। इसलिए पहले का जो सूत्र है वह मुख्य रूप से मुक्त जीवों के लिए हो गया। संसारी जीवों के लिए भी अविग्रह होगा इसके लिए यहाँ 'च' शब्द से ग्रहण कर लेना। विग्रह वाली जो गति होगी उसके लिए यह नियम बनाया जा रहा है। प्राक्चतुर्यः' अर्थात् चार समय से पहले, प्राक् का अर्थ है-पहले की गति होगी। चार समय का उल्लंघन नहीं होगा। चौथे समय में तो यह जीव आगामी गति में जन्म ले ही लेगा। विग्रह वाली जो गति होगी वह चार समय से पहले-पहले ही पूर्ण हो जाएगी। उस गति में तीन प्रकार की गतियाँ हो जाती हैं। एक मोड़े वाली गति, दो मोड़े वाली गति और तीन मोड़े वाली गति। एक मोड़े वाली गति का अर्थ है जिसमें एक मोड़ा लेना पड़े। तो उसमें क्या होगा? उसमें कोई भी जीव यहाँ से ऊपर गया एक मोड़ा लिया तो बीच का जो कोण बना वह एक मोड़ा हो गया। उस एक मोड़े वाली गति में दूसरे समय में इस जीव का वहाँ पर जन्म हो जाएगा। एक समय यह विग्रह गति में रहा इसे ऐसा कह सकते हैं। इस गति को पाणीमुक्ता गति कहते हैं। पाणीमुक्ता गति का
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