Book Title: Jain Vidya 10 11
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 6
________________ विषय श्र. सं. 16. हिंसा 17. आचार्य कुन्दकुन्द और यथार्थ- प्रसद्भूत व्यवहारनय 18. कुन्दकुन्दाचार्य के ग्रन्थों में सम्यग्चारित्र की अवधारणा 19. वंदरणीया गुणवादी 20. आचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि में 'समय'. 21. परद्रव्य 22. प्राचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि में भक्ति तत्त्व 23. समयसार का दार्शनिक पृष्ठ 24. स्वद्रव्य 25. समयसार की रचना में आचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि 26. समयसार में निश्चय व्यवहार विषयक चर्चा-समाधान 27. परदव्वादो दुग्गइ 28. समयसार का 'समय' 29. प्रवचनसार में शुद्धोपयोग की महिमा एवं उस सम्बन्धी गाथाओं का व्याकरणिक विश्लेषण 30. सो झायइ अप्पयं शुद्धम् 31. प्रवचनसार का सार 32. आचार्य कुन्दकुन्द एवं बोधपाहुड 33. अष्टपाहुड का भाषात्मक अध्ययन लेखक श्राचार्य कुन्दकुन्द डॉ. रतनचन्द्र जैन डॉ. राजकुमारी जैन श्राचार्य कुन्दकुन्द डॉ. (श्रीमती) पुष्पलता जैन श्राचार्य कुन्दकुन्द डॉ. प्रेमसागर जैन डॉ. दरबारीलाल कोठिया प्राचार्य कुन्दकुन्द पं. बंशीधर व्याकरणाचार्य नाथूराम डोंगरीय श्राचार्य कुन्दकुन्द डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया डॉ. कमलचन्द सोगाणी प्राचार्य कुन्दकुन्द डॉ. प्रेमचन्द विका पं. अनूपचन्द न्यायतीर्थं डॉ. उदयचन्द जैन पू. सं. 72 73 79 90 91 20180 96 97 103 112 113 119 128 129 133 144 145 151 155

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