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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
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६७७- पुत्र के दस प्रकार . जो पिता, पितामह आदि की अर्थात् अपने वंश की मर्यादा का पालन करे उसे पुत्र कहते हैं। पुत्र के दस प्रकार हैं(१) आत्मज- अपनी स्त्री से उत्पन्न हुआ पुत्र आत्मज कहलाता है। जैसे- भरत चक्रवर्ती का पुत्र आदित्ययश । (२) क्षेत्रज- सन्तानोत्पत्ति के लिए स्त्री क्षेत्र रूप मानी गई है। अतः उसकी अपेक्षा से पुत्र को क्षेत्रज भी कहते हैं। जैसेपाण्डुराजा की पत्नी कुन्ती के पुत्र कौन्तेय (युधिष्ठिर) आदि । (३) दत्तक- जो दूसरे को दे दिया जाय वह दत्तक कहलाता है। जो वास्तव में उसका पुत्र नहीं किन्तु पुत्र के समान हो वह दत्तक पुत्र है । लोकभाषा में इसको गोद लिया हुआ पुत्र कहते हैं। जैसे- बाहुबली के अनिलवेग पुत्र दत्तक पुत्र कहा जाता है। (४) विनयित- अपने पास रख कर जिसको शिक्षा अर्थात अक्षर ज्ञान और धार्मिक शिक्षा दी जाय वह पुत्र विनयित पुत्र कहलाता है। (५) औरस-जिस बच्चे पर अपने पुत्र के समान स्नेह (प्रेमभाव) उत्पन्न हो गया है अथवा जिस बच्चे को किसी व्यक्ति पर अपने पिता के समान स्नेह पैदा हो गया है, वह बच्चा
औरस पुत्र कहलाता है। (६) मौखर- जो पुरुष किसी व्यक्ति की चापलूसी और खुशामद करके अपने आप को उसका पुत्र बतलाता है वह मौखर पुत्र कहलाता है। (७) शौंडीर- युद्ध के अन्दर कोई शूरवीर पुरुष दूसरे किसी वीर पुरुष को अपने अधीन कर ले और फिर वह अधीन किया हुआ पुरुष अपने आपको उसका पुत्र मानने लग जाय तो