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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
की पूजा हुई थी। भगवान् ऋषभदेव आदि के समय मरीचि कपिल आदि असंयतों की पूजा तीर्थ के रहते हुई थी इस लिए उसे अच्छेरे में नहीं गिना जाता। ___उपरोक्त दस बातें इस अवसर्पिणी में अनन्त काल में हुई थीं। अतः ये दस ही इस हुण्डावसर्पिणी में अच्छेरे माने जाते हैं।
(ठाणांग, सत्र ७७७) (प्रवचनसारोद्धार द्वार १३८).. ६८२-विच्छिन्न (विच्छेद प्राप्त) बोल दस
श्री जम्बूस्वामी के मोक्ष पधारने के बाद भरतक्षेत्र से दस बातों का विच्छेद होगया। वे ये हैं
(१) मनःपर्यय ज्ञान (२) परमावधिज्ञान (६) पुलाकलब्धि (४) आहारक शरीर (५) क्षपक श्रेणी (६) उपशम श्रेणी (७) जिनकल्प (E) चारित्र त्रय अर्थात्- परिहारविशुद्धि चारित्र, मुक्ष्मसम्पराय चारित्र और यथाख्यात चारित्र (8)केवली(१०) निर्वाण (मोक्ष)
(विशेषावश्यक भाष्य गाथा २५६३) ६८३-दीक्षा लेने वाले दस चक्रवर्ती राजा
दस चक्रवर्ती राजाओं ने दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण किया। उनके नाम इस प्रकार हैं
(१) भरत (२) सागर (३) मघवान् (४) सनत्कुमार (५) शान्तिनाथ (६) कुन्थुनाथ (७) अरनाथ (5)महापब (8) हरिषेण (१०) जयसेन।
(ठाणांग मूल, सूत्र ७१८) ६८४-श्रावक के दस लक्षण
दृढ श्रद्धाको धारण करने वाला, जिनवाणी को सुनने वाला दान देने वाला, कर्म खपाने के लिए प्रयत्न करने वाला और देश व्रतों को धारण करने वाला श्रावक कहा जाता है । उस में नीचे लिखी दस बातें होती हैं(१) श्रावक जीवाजीवादि नौ तत्त्वों का ज्ञाता होता है।