Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 448
________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला. " वे त्रायविंश कहलाते हैं। (4) पारिषद्य- जो देव इन्द्र के मित्र सरीखे होते हैं वे पारिषध कहलाते हैं। (5) आत्मरक्षक-जो देव शस्त्र लेकर इन्द्र के पीछे खड़े रहते . हैं वे आत्मरक्षा कहलाते हैं / यद्यपि इन्द्र को किसी प्रकार की तकलीफ या अनिष्ट होने की सम्भावना नहीं है तथापि आत्मरक्षक देव अपना कर्तव्य पालन करने के लिए हर समय हाथ में ... शस्त्र लेकर खड़े रहते हैं। (६)लोकपाल-सीमा (सरहद्द) की रक्षा करने वाले देव लोकपाल कहलाते हैं। (7) अनीक- जो देव सैनिक अथवा सेना नायक का काम करते हैं वे अनीक कहलाते हैं। (8) प्रकीर्णक-जो देव नगर निवासी अथवा साधारण जनता की तरह रहते हैं, वे प्रकीर्णक कहलाते हैं। (8) आभियोगिक- जो देव दास के समान होते हैं वे आभियोगिक (सेवक) कहलाते हैं। (10) किल्विपिक-अन्त्यज (चाण्डाल)केसमान जो देव होते हैं वे किल्विषिक कहलाते हैं। (तत्त्वार्थाधिगमभाष्य अध्याय 4 सूत्र 4) 730- भवनवासी देव दस __ भवनवासी देवों के नाम-(१) अमुरकुमार (2) नागकुमार (3) सुवर्ण (सुपर्ण) कुमार (4) विद्युत्कुमार (5) अग्निकुमार (6) द्वीपकुमार (7) उदधिकुमार (8) दिशाकुमार (8) वायुकुमार (10) स्तनितकुमार। ये देव प्रायः भवनों में रहते हैं इसलिए भवनवासी कहलाते हैं। इस प्रकार की व्युत्पत्ति असुरकुमारों की अपेक्षा समझनी चाहिए, क्योंकि विशेषतः ये ही भवनों में रहते हैं। नागकुमार आदि

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