Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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आसपास के ग्रामों के प्रवशिष्ट लेख ४१६ गोपतियादन्ता ..
गोपति बल्लालगात्मजं नरसिंहं ॥ ५॥ वृ ॥ जित्वा वैरिनरेन्द्रचक्रमखिल संग्रामरङ्गऽभव
न्भूचक्र लवणाब्धिवेष्टितमिद स्वीकृत्य... ...श्वर वैष्णवाहुतमहो तन्मुख्य चक्रं सदा
श्रीसोमेश्वरदेव यादव............॥ ६ ॥ भामानीकामनोज
भीमाहितदैत्यततिगे दशरथराम । सोमसुजनसुधाब्धिगे
सोमेश्वरदेवनेन्दु वर्णिपुदु जगं ॥ ७ ॥ व ॥ स्वस्ति समधिगतपञ्चमहाशब्द महामण्डलेश्वर द्वारावती
पुरवराधीश्वर विद्विण्णिशाकरविधुन्तुदं । कलिङ्गमत्तमातङ्गमस्तकविदारणोत्कण्ठकण्ठीरव। सेवु ( णो ):पालारण्य-दावानल । मालवमहीपालाम्भोधिकुम्भसम्भव । वासन्तिकादेवीलब्धलसितप्रसाद । यादवकुन्ताम्बरा मणि । सम्यक्तवचूड़ामणि । मलेराजराज मलेपरोलु गण्ड गण्डभेरुण्ड कदनप्रचण्ड सनिवार-सिद्धि गिरिदुर्गमल्ल । चलदङ्करामनसहायशूरनेकाङ्गवीर। मगर... कुलिश...र। चोलराज्यप्रतिष्ठाचाय्य पाण्ड्यकुलसंरक्षणदक्षदक्षिणभुज । भुजबलार्जितानेक-नामप्रशस्तिसमालङ्कत श्रीमद्-गङ्गहोयसलप्रतापचक्रवर्त्तिवीरसेामे
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