Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१५५.
।
७२.
गण्डविमुक्त, माघनन्दिके शिष्य, ४०, | बाहुबलि ४५, ५९, ८०-९६, २४१, ३६८, ३६९, भु० १३२, १०३, १०५-१०७, ११०, ११३,
११५, ११८, ११९, १२२, गण्डविमुक्त म. कुक्कुटासन म०, १३१, १३४, १३७, १४०,
दिवाकरनन्दिके शिष्य ४३. १४३, ३१६, ३२२, ३२९, गण्डविमुक्त गौलमुनि-म० हेमचन्द्र, ३३०, ३५६, ३५७, ३५९, ५५, भू० १३३.
३६०, ४१७, ४२१, ४२४, गण्डविमुक्त ( वादि चतुर्मुख रामचन्द्र) ४३३, ४३६, ४५४,४८६.
देवकीर्तिके शिष्य, ४० भू० ११२. | गृद्धपिञ्छ ४०,४२,४३, ५०, १०५, गण्डविमुक्त सि० दे० ५०० भू० ३९, १०८, २२९ भू० १४०.
९३, ९४, ११०, ११८, १५३. | गोपनन्दि, चतुर्मुखके शिष्य ५५, गुणकीर्ति ३० भू० १५१.
४९२ भू० ५३, ७५, ८७, १३३, गुणकीर्ति १०५.
१४२, १५३. गुणचन्द्र (भद्र) ४२, ५५, ७०, ९०, गोम्मटसारवृत्ति ( अभयचन्द्रकृत) भू०
१२४, १३७, ४९१, ४९४, भू. ९६, ९७, १३३, १४६. गोम्मटेश्वरचरित (अनन्तकविकृत) भू० गुणचन्द्र ४३१ भू. १५९. ... २३, २७, ४८, १०७. गुणचन्द्र म० दे०, शान्तीश के शिष्य, ! गोल्लाचार्य ४०, ४७, ५०, भू० १३१, __ भू. ८२.
१३२, १४२. गुणदेव ४७७.
गोवर्धन १, १०५, भू. ५६, ५७, गुणदेवसूरि १६० भू० १५१. ६०, ६२, १२५. गुणनन्दि, बलाकपिञ्छके शिष्य ४२, गौतम १, ४०, ४२, ४३, ४७, ५०, ४३, ४७, ५०, १०५.
५४, १०५, १०८, ४३८, ४९३, गुणभद्र, जिनसेनके शिष्य १०५ भू० भू० ६२, १२९-१३१, १३६,
१३८. गुणभूषित २१ भू० १५०.। गौलदेव, "मुनि-म० हेमचन्द्र, गोपगुणसेन ९, ५४ भू० १४०, १५०. | नन्दिके शिष्य, ५५. गुप्तिगुप्त भू० ६५, १२८. गुम्मट, देव, नाथ, "स्वामी, "टेश्वर, चतुर्मुख (वृषभनन्दि) ५५, ४९२,
गोमट, देव, "टेश, "टेश्वर इत्यादि= भू० ११३.
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